एक बार गांव के कुछ बच्चे जंगल में खेल रहे थे। तभी उनमें से एक बच्चा पास घास चर रही गाय की पूंछ पकड़ने के लिए दौड़ता है। साथ ही अन्य लड़के भी गाय की पूंछ पकड़ने के लिए दौड़ते हैं कि सबसे पहले कौन पकड़ेगा।
गाय बहुत जोर से भागती है और वह भागते भागते गांव के किनारे एक कुएं में गिर जाती है और मर जाती है ।
यह बात पूरे गांव में आग की तरह फैलती है। अब गांव के लोग गौ हत्या से मुक्त होने के लिए गांव के पंडित के पास जाते हैं तो गांव का पंडित उन्हें विभिन्न प्रकार के कर्मकांड और भारी मात्रा में दक्षिणा देने को कहता है जिससे वह उन परिवारों को गौ हत्या के दोष से मुक्ति दिला सके....
तभी उनमें से एक बच्चा बोला कि पंडित जी आपके संतोष (पंडित जी का लड़का) भी थे गाय की पूंछ पकड़ने में..... तब पंडित जी कहते हैं
गैया मारे में रहे संतोष
तो गैया मारे नाही दोष।।
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