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भले आदमी का कर्तव्य

एक बार एक सज्जन व्यक्ति ने एक मंदिर बनवाया और उस मंदिर में एक पूजा करने वाला पुजारी भी रखा वह सब मंदिर के खर्च के लिए बहुत से लोगों ने भूमि खेत बगीचे नाम कर दिए और वह मंदिर बहुत ही पैसे वाला धनी मंदिर हो गया तो उस मंदिर में ऐसा प्रबंध किया गया कि मंदिर में किसी भी प्रकार का कोई व्यक्ति आए तो वहां पर कर सके और उस को भोजन को ईश्वर का प्रसाद भी मिल सके अब ऐसे विशाल मंदिर के लिए प्रबंधक की आवश्यकता थी तो मंदिर की तरफ से विज्ञापन निकलवाया गया और उस मंदिर के प्रबंधक पद के लिए बहुत से व्यक्ति आने लगे जो मंदिर की संपत्ति और प्रसाद आदि की व्यवस्था को ठीक करने का दावा करने लगे। मंदिर के लिए बहुत से पढ़े-लिखे विद्वान लोग भी आने लगे क्योंकि वह जानते थे कि मंदिर के प्रबंधक बनने से अच्छा पैसा वेतन के रूप में प्राप्त होगा लेकिन वह एक धनी पुरुष सबको लौटा देता था और सब से कहता कि मुझे एक भला आदमी चाहिए जिसे मैं अपने आप साथ लूंगा। इस बात पर उसे बहुत से व्यक्ति मूर्ख और पागल बताते लेकिन वह किसी की बात पर ध्यान नहीं देता था। प्रबंधक पद के लिए व्यक्ति का चयन करने के लिए एक उपाय सोचा और वह मंदिर अपनी आनेवाली लोगों को रोज देखने के लिए अपने मकान की छत पर बैठने लगा। एक दिन एक मनुष्य मंदिर में दर्शन करने आया उसके कपड़े बहुत फटे मैले-कुचैले थे वह पढ़ा लिखा भी नहीं था वह जब भगवान के दर्शन करके वापस जाने लगा तो वह धनी व्यक्ति ने उसे अपने पास बुलाया और उससे पूछा कि क्या हुआ है मंदिर की व्यवस्था संभालना चाहेगा। यह सब पर वह व्यक्ति बड़े आश्चर्य में पड़ गया और उसने बताया कि वह पढ़ा लिखा नहीं है और इतने बड़े मंदिर का प्रबंध कैसे कर पाएगा लेकिन वह धनी पुरुष को तो एक भला आदमी चाहिए था इसलिए उसने कहा कि तुम एक भले आदमी हो जो इस मंदिर का प्रबंध अच्छी तरह से कर सकता है। उस मनुष्य ने पूछा कि आपने इतने मनुष्यों में मुझे ही भला आदमी क्यों माना तब उस व्यक्ति ने उसे जवाब दिया कि मैं जानता हूं आप भले आदमी हैं। क्योंकि मंदिर के रास्ते में एक ईंट का टुकड़ा खड़ा हुआ था वह थोड़ा सा ऊपर निकला था मैं बहुत दिनों से देख रहा हूं कि लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और उस ईंट के टुकड़े से ठोकर खाकर गिरते हैं इससे उनको चोट भी लगती है लेकिन वह चले जाते हैं आज आपको भी उससे ठोकर लगी किंतु आप ने उसे देखते ही उखाड़ने के लिए कोशिश की और यहां से हावड़ा लेकर आपने उसे उखाड़ कर फेंक दिया और रास्ता सही बना दिया तो उस गरीब व्यक्ति ने कहा कि यह तो एक सामान्य व्यक्ति का कर्तव्य है जो मैंने किया क्योंकि रास्ते में अगर कोई भी ईंट पत्थर पड़ा है तो उससे किसी को भी चोट लग सकती है तब उस धनी पुरुष ने कहा कि अपने कर्तव्य को जानने और पालन करने वाले लोग ही भले आदमी होते हैं इस प्रकार वह व्यक्ति अपने एक छोटे से कर्तव्य को पूरा करने से ही लोगों की नजरों में आ गया और उसे मंदिर का प्रबंधक बना दिया गया इस प्रकार प्रत्येक मनुष्य को वाले कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए उनकी योग्यता को कोई न कोई व्यक्ति जरूर देखता है जो उनके लिए कभी भी सौभाग्यसूचक हो सकती है

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