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पंचतंत्र की कहानियां:ऊंट और उसके झूठे दोस्त

एक व्यापारी जंगल में से बाहर से लदे हुए होठों को लेकर जा रहा था | उनमें से एक ऊंट थक कर गिर पड़ा लेकिन व्यापारी के पास उसकी देखभाल के लिए समय नहीं था | इसलिए वह उसे वहीं छोड़ कर आगे चल पड़ा |
वह पतला और मरियल ऊँट मरा नहीं था, वह अपने पैरों पर लड़खड़ाकर खड़ा हो गया और जंगल की हरी-भरी मीठी घास चरने लगा | इस प्रकार दिन गुजरते चले गए और धीरे धीरे ऊँट में खोई हुई शक्ति और साहस वापस आ गया, अब वह मोटा हो गया और उसकी खाल चमकने लगी |
एक दिन जब वह रोज की तरह घांस चर रहा था, तभी मडोकटर नामक जंगल का राजा शेर उधर से गुजरा | उसके साथ उसके तीन साथी लोमड़ी, कौवा और चीता भी था | राजा ने घरेलू जानवर को जंगल में देखकर बहुत हैरानी प्रकट की और उसने उनसे पूछा ‘तुम यहां कैसे आ गए’ | ऊंट ने अपनी सारी कहानी सुना दी |
जब शेर ने यह सुना कि उनके स्वामी ने किस प्रकार निर्दई बन कर उसे छोड़ दिया था तो उसे ऊँट पर दया आ गई और मडोकटर शेर बोला ‘अच्छा, अब तुम्हें किसी और से डरने की आवश्यकता नहीं | अब से तुम मेरे साथ मेरे सरंक्षण में ही रहोगे | मैं इस जंगल का राजा हूं और तुम हमारे साथ शांति से रह सकते हो’ |
ऊँटयह सुनकर खुश हो गया और वह शांति से संतुष्ट होकर रहने लगा |एक दिन शेर तथा हाथी का युद्ध हो गया | बड़े हाथी ने अपने लंबे दांतो से शेर को घायल कर दिया | मडोकटर नामक शेर अपने आप को घसीटकर गुफा तक ले गया जहां वह निर्बल होकर चलने-फिरने से लाचार होकर लेट गया | जब उसके तीनों साथी हमदर्दी जाहिर करने आए तो उसने उनसे कहा ‘मेरे लिए कुछ खाना ढूंढ कर लाओ, जब तक कि मुझ में चलने की शक्ति नहीं आ जाती’ |
तीनों साथी खाने की तलाश में चल पड़े परन्तु शाम होने तक उन्हें कोई भी जानवर शेर के खाने योग्य ना मिला | लोमड़ी बहुत चालाक थी,  वह शेर के पास जाकर बोली ‘महाराज, हम शिकार ढूंढने की बजाय क्यों ना इस ऊंट को मारकर खा ले | वह हमारे लिए एक अजनबी है और उसे राजा के लिए मार डालने में कोई गलती भी नहीं है’ |
यह सुनकर शेर को बहुत गुस्सा आया और बोला ‘मैं अपनी शरण में आए जानवर को कैसे मार सकता हूं? मैं ऐसा कदापि नहीं करुंगा’ | शेर की बातें सुनकर लोमडी बोली ‘मैं आपके नए ख्यालात से सहमत हूं पर यदि हम में से कोई एक आपकी जान बचाने के लिए अपने आपको आप के हवाले कर दे तो कोई गलत बात ना होगी, आप इसे कैसे ठुकरा सकते हैं | जबकि आपने कई बार खाना तथा सुरक्षा देकर हमारी जान बचाई है’ |
लोमड़ी की यह बात सुनकर शेर उसे मना न कर सका और उसने हां बोल दिया | अब लोमड़ी खुश होकर जल्दी से अपने दोस्तों के पास पहुंची और बोली ‘हमारा राजा भूख से मर जाएगा क्योंकि हम कोई शिकार नहीं ढूंढ सके हैं | वह मान गया है, यदि हममें से कोई अपनी मर्जी से उसका भोजन बन जाए | हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने आपको राजा के हवाले कर दें’ |
लोमड़ी की बात सुनकर कौवा, चीता और लोमड़ी तीनों राजा शेर के पास पहुंचे | सबसे पहले कौवे ने कहा ‘हे शेर राजा, मैं आपको खुशी से भेंट करता हूं, आप की भूख मिटाने के लिए’ | शेर कोई जवाब दे उससे पहले ही लोमड़ी बोल पड़ी ‘तुम इतने छोटे जानवर हो, तुम्हारे से राजा की भूख नहीं मिटेगी | तुमसे केवल एक ग्रास ही बनेगा | मैं ज्यादा खाना बन सकती हूं’ | यह कहकर लोमड़ी ने सिर झुका लिया |
अब शेर के द्वारा जवाब देने से पहले ही चीता बोल पड़ा ‘तुम कौवे से केवल थोड़ी सी ही बड़ी हो, क्या तुम समझती हो कि तुम्हें खाकर राजा का पेट भर जाएगा? नहीं-नहीं तुम्हारे से ज्यादा अच्छा खाना मैं बन सकता हूं’ |
ऊँट चुपचाप खड़ा यह सारी बातें सुन रहा था और सोच रहा था राजा के सारे दोस्तों ने अपनी जिंदगी राजा के हवाले करने को बोला लेकिन राजा ने किसी को भी नहीं छुआ | मुझे भी अपना भेंट पेश करनी चाहिए और अपने आपको उसके हवाले कर देना चाहिए | यह सोचकर ऊंट आगे आया और जोर से बोला ‘प्यारे मित्र चीता, तुम और शेर एक ही जाती के हो | वह तुम्हें कैसे मारेंगे शेर राजा को मुझे ही खा लेना चाहिए’ | जैसे ही ऊँट ने यह शब्द कहे तीनों चीता, कौवा और लोमड़ी उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला | बेचारा ऊंट मर गया | उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं किया|
कभी-कभी अच्छे लोग, गलत सलाह देने वाले लोग गिरे रहते हैं जो कि अपने मित्रों को ही धोखा देने से नहीं चूकते | इसलिए किसी भी बात बोलने से पहले अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए |

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