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Janmastami कृष्ण जन्माष्टमी


krishna

जन्माष्टमी का त्योहार

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाने वाला पर्व है इस पर्व को हिंदू पूरे धूमधाम से मनाते हैं हिंदुओं में वैष्णव शाखा के हिंदू इस पर्व को खास महत्व देते हैं इस पर्व को मनाने का मुख्य केंद्र मथुरा वृंदावन क्षेत्र है भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में वहां के राजा कंस की जेल में हुआ था श्री कृष्ण के पिता वासुदेव और माता का नाम देवकी था वह उन्हें जेल से निकालकर यमुना नदी के पार नंद के घर छोड़ कर आ गए थे इन्हीं कृष्ण ने आगे चलकर कंस का वध किया और उसके अत्याचार से मथुरा को मुक्ति दिलाई

जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है भारत में यह पर्व लगभग सभी प्रांतों खासकर उत्तर भारत के सभी प्रांतों में मनाया जाता है इसके साथ ही दक्षिण में आंध्र प्रदेश तमिलनाडु कर्नाटक और पूर्व में उड़ीसा बंगाल मणिपुर आसाम आदि प्रांतों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है श्री कृष्ण सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लोगों में भी युगों युगों से प्रेरणा का स्रोत रहे हैं दुनिया के अधिकांश व्यक्तिवादी धर्म जैसे ईसाई इस्लाम आज धर्मों की शिक्षाएं गीता के उपसहार ही मानी जाती हैं अर्थात इन धर्मों के उपदेशकों ने जो शिक्षाएं दी वह पहले से ही गीता में संग्रह थी

भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को कर्तव्य विमुख होने से रोकने के लिए जो उपदेश दिया वह गीता में संग्रहित हैं यह उपदेश ही उसके बाद दुनिया में प्रचलित व्यक्तिवादी धर्मों की जननी साबित हुए आज भी दुनिया के अधिकांश समाजशास्त्रीय विद्वान गीता का अध्ययन करते हैं
 

जन्माष्टमी कब मनाते हैं---
भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता है अर्थात रक्षाबंधन के आठवें दिन क्योंकि रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है उसके 8 दिन बाद भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन आता है

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भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी--

भगवान श्रीकृष्ण की माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था श्री कृष्ण की माता देवकी मथुरा के राजा कंस की बहन थी जब देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ तो कंस को भविष्यवाणी हुई की देवकी के आठवें पुत्र से कंस का नाश होगा यह भविष्यवाणी सुनकर कंस ने देवकी और वसुदेव को जेल में डाल दिया उसके बाद देवकी और वसुदेव के उत्पन्न होने वाली 7 संतानों को क्रमशः कंस ने मार दिया देवकी और वसुदेव के आठवीं संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब वसुदेव को देवी ने भविष्यवाणी कर बताया कि श्रीकृष्ण को यमुनापार नंद के घर छोड़ आओ उस आकाशवाणी के कहने पर वसुदेव रात में ही श्रीकृष्ण हो नंद के घर छोड़ कर आ गए और वहां से उनकी पुत्री को ले आए अगले दिन कंस ने जब उस उत्तरी को मारना चाहा तब उसने देवी का रूप धारण कर कंस को बताया कि उसको मारने वाला पैदा हो चुका है कृष्ण ने ही आगे चलकर मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का अंत किया

श्री कृष्ण का पालन पोषण गोकुल में नंदबाबा और यशोदा माता ने किया श्रीकृष्ण बचपन से ही बहुत नटखट थे उन्हें माखन चुरा कर खाने का बहुत ज्यादा शौक था बचपन से ही वह पूरे गोकुल में बहुत ज्यादा प्रिय थे और उन की बाल लीलाएं सब का मन मोह लेती थी आज भी श्री कृष्ण की जन्माष्टमी के अवसर पर जगह जगह पर पूरे मथुरा और वृंदावन में उन की बाल लीलाओं का नाटक किया जाता है जिसमें छोटे बच्चों को श्री कृष्ण बनाकर उन की लीलाएं करवाई जाती हैं

जन्माष्टमी पर होने वाली तैयारी व कार्यक्रम--

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों को खास तौर से सजाया जाता है इस दिन मंदिर में भजन कीर्तन आदि का प्रोग्राम रखा जाता है साथ ही मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है भगवान श्री कृष्ण की झांकियां निकाली जाती है तथा भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं रास लीलाओं का आयोजन किया जाता है

 

दही-हांडी/मटकी फोड़ प्रतियोगिता : -

जैसा कि हमने पहले बताया भगवान श्रीकृष्ण को माखन से बहुत प्यार था वह इसे चोरी करके खुद भी खाते थे और अपने साथियों को भी खिलाते थे इसीलिए जन्माष्टमी के पर्व पर दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन देश के कई हिस्सों में किया जाता है जिसमें 10-- 12 साल के लड़कों को बाल गोपाल बनाते हैं और उनसे सबसे ऊपर टंगी हुई मटकी को छुड़वाया जाता है यह एक तरह से रस्म का कार्यक्रम होता है बाद में आनी फोड़ने वाली टीमों को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं इसके साथ ही अन्य कार्यक्रम भी किए जाते हैं

 

 

कृष्ण पूजा-- जन्माष्टमी के त्यौहार के लिए अधिकांश लोग सप्तमी को व्रत रखते हैं और सप्तमी और अष्टमी की मध्यरात्रि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म माना जाता है तो रात के 12:00 बजे तक व्रत रखा जाता है 12:00 बजे इस व्रत को तोड़ा जाता है व्रत में फलाहार का सेवन कर सकते हैं लोग अपने अपने तरीके से व्रत रखते हैं साथ ही रात को प्रसाद वितरण भी किया जाता है

 

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