गुरु शंकराचार्य आधुनिक हिंदू धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं इसका अर्थ यह नहीं कि इससे पहले हिंदू धर्म था नहीं यार अगर यह नहीं होते तो हिंदू धर्म नहीं होता दरअसल बात यह है कि जब गुरु शंकराचार्य का जन्म हुआ उस समय तक हिंदू धर्म में बहुत सारी बुराइयां आ गई थी देश में जातिप्रथा बुरी तरह से जकड़ी हुई थी इसके साथ ही देश में बौद्ध धर्म अपने पूरे जोरों पर था बौद्ध धर्म में भी उस समय तक अनेक बुराइयां घर कर चुकी थी बौद्ध धर्म में तंत्र मंत्र का प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ चुका था लेकिन बौद्ध धर्म में जाति प्रथा ना होने की वजह से छोटी जाति के लोगों को उसमें जाना आसान प्रतीत होता था जिसकी वजह से हिंदू धर्म एक खतरा महसूस कर रहा था
गुरु शंकराचार्य एक महान विद्वान और ज्ञानी ब्राह्मण थे उनका जन्म केरल में हुआ था और यह अल्प आयु में ही सन्यासी हो गए थे अपने सन्यास के दौरान उन्होंने भारत भर में भ्रमण किया और देश के लगभग सभी ब्राह्मणों को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी शास्त्रार्थ में शंकराचार्य विजई हुए और उन्हें पूरे देश में चुनौती देने वाला कोई भी ब्राह्मण नहीं बचा इसके बाद उन्होंने बनारस जाकर वहां के प्रसिद्ध ब्राह्मणों को भी शास्त्रार्थ में आया और वह उनके शिष्य बन गए इसके बाद गुरु शंकराचार्य की प्रसिद्धि पूरे देश में फैल गई
गुरु शंकराचार्य ने भाग्य के सिद्धांत पर अधिक बल दिया उन्होंने बताया कि इस संसार में जो भी होना है वह पूर्व निर्धारित है और इस संसार में मानव जीवन का कोई अर्थ नहीं है मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है
मैं यहां पर इस सिद्धांत की आलोचना में कुछ तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूं
गुरु शंकराचार्य एक महान विद्वान और ज्ञानी ब्राह्मण थे उनका जन्म केरल में हुआ था और यह अल्प आयु में ही सन्यासी हो गए थे अपने सन्यास के दौरान उन्होंने भारत भर में भ्रमण किया और देश के लगभग सभी ब्राह्मणों को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी शास्त्रार्थ में शंकराचार्य विजई हुए और उन्हें पूरे देश में चुनौती देने वाला कोई भी ब्राह्मण नहीं बचा इसके बाद उन्होंने बनारस जाकर वहां के प्रसिद्ध ब्राह्मणों को भी शास्त्रार्थ में आया और वह उनके शिष्य बन गए इसके बाद गुरु शंकराचार्य की प्रसिद्धि पूरे देश में फैल गई
गुरु शंकराचार्य ने भाग्य के सिद्धांत पर अधिक बल दिया उन्होंने बताया कि इस संसार में जो भी होना है वह पूर्व निर्धारित है और इस संसार में मानव जीवन का कोई अर्थ नहीं है मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है
मैं यहां पर इस सिद्धांत की आलोचना में कुछ तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूं
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