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Mina aarakshan aur jat , patel aarakshan aandolan

मीणा आरक्षण मीणा मध्य भारत में राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली एक जनजाति है मीणा खुद को प्राचीन मत्स्य साम्राज्य से जोड़ते हैं मीणाओं का राजस्थान के कुछ विभाग में शासन भी रहा है राजपूतों के आक्रमण से पहले यह बूंदी के आसपास के इलाकों में शासन किया करते थे बाद में उन्होंने राजपूत राजाओं के नीचे जमीदारी करना स्वीकार कर लिया अभी मीणा संविधान के अंतर्गत आदिवासी जनजाति में गिने जाते हैं मीणा अपने को परमार शासकों से भी जोड़ते हैं मीणा आदिवासी जनजाति के 2 परसेंट आरक्षण का पूरा लाभ उठाते हैं और इसकी वजह से वह आज भारत में लगभग सभी अच्छे पदों वाली सरकारी नौकरियों में हैं इस आरक्षण की वजह से ही यह स्थिति इनको प्राप्त हुई है लेकिन इनकी उभरती आर्थिक ताकत ने इस क्षेत्र में असंतुलन पैदा कर दिया है जिसकी वजह से इनके साथ ही रहती आई जातियां जैसे गुर्जर जाट व पटेल आदि में भी असंतोष उभर रहा है जो पूरे देश में पुनः आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं मीणाओं की जनसंख्या देश में लगभग 70 लाख है जो अधिकांश तक राजस्थान में ही रहते हैं मीणाओं का कुछ भाग मध्य प्रदेश जो राजस्थान से सटे इलाके हैं उनमें भी है उत्तर प्रदेश में यह राजस्थान से सटे हुए इलाके मथुरा के आसपास पाए जाते हैं जो राजस्थान से ही आकर बस गए हैं सब मिलाकर अनुसूचित जातियों का यह लगभग 8.4 प्रतिशत बैठते हैं लेकिन ST जातियों को मिलने वाले 2 प्रतिशत आरक्षण का लगभग 50 से 80% यही उपयोग करते हैं इसी आरक्षण का परिणाम है कि रेलवे में ए ग्रेड सर्विसिस में अधिकांश मीणा भरे पड़े हैं इसके अतिरिक्त देश की अन्य केंद्रीय सेवाएं जैसे IAS PCS SSC SSB रेलवे अन्य पीएसयू में ए ग्रेड सर्विस स्टेशन ST जातियों के आरक्षण का पूरा पूरा लाभ सिर्फ मिलना ही उठाते हैं इससे देश में ST जातियों को दिए गए आरक्षण का कोई भी लाभ नहीं हो पा रहा है पहले ही देश में आरक्षण के प्रति लोगों में बहुत अधिक गुस्सा है उसके ऊपर से किसी भी जाति का इस तरह से कब्जा जमा लेना एक सोचनीय विषय है यह आवाज उठने लगी है कि जब कोई जात आर्थिक रूप से इतनी विकसित हो चुकी है तो फिर उसे आरक्षण का लाभ क्यों दिया जाए लेकिन मीणाओं के संबंध में तो स्थिति और अधिक शोचनीय है क्योंकि मीणाओं के बारे में कहा जाता है कि इनके हर घर से सभी बच्चे आईएएस ही पैदा होते हैं और अगर इसे अच्छी तरह से परखा जाए तो यह सच भी है मीणा भले ही ST जातियों का 8.4 प्रतिशत हैं लेकिन वह पूरा आरक्षण खा जाते हैं जिस वजह से देश में उपस्थित 92 प्रतिशत जातियां आज भी उसी स्थिति में है जिस स्थिति में वह आज से 70 साल पहले थी अधिकांश आदिवासी जातियों का आज भी कोई विकास नहीं हो पा रहा है क्योंकि पहले तो वह गरीबी के कारण शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते उसके बाद अगर कोई उनमें से शिक्षा ग्रहण कर भी ले तो अग्रणी मीणाओं के आगे वह टिक नहीं पाता और मीणा उसे आरक्षण के अंतर्गत भी चयनित नहीं होने देते यह एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि बाबा अंबेडकर के बनाए गए संविधान में सामाजिक स्थिति को व्यवस्थित करने के लिए यह व्यवस्था की गई थी ना की किसी खास जाति को आरक्षण देकर और उसे लगातार ऊपर की स्थिति में बनाए रखने के लिए मीणाओं ने यह आरक्षण भी धोखे से प्राप्त किया था दरअसल यह आरक्षण राजस्थान व देश के अन्य भागों में उपस्थित थार मीणा नामक उपजाति को दिया गया था दरअसल THAR MINA अंग्रेजो के खिलाफ बहुत ही ताकत से लड़े थे तो अंग्रेजी सरकार ने उनके सभी संसाधनों आय के स्रोतों को अपने शासन के दौरान ही खत्म कर दिया था जिस कारण थार मीणाओं की स्थिति आजादी के समय बहुत ज्यादा खराब थी शोचनीय स्थिति से उबारने के लिए THAR MINA उप जाति को 10 वर्ष के लिए आरक्षण दिया गया था लेकिन संविधान बनाने की प्रक्रिया के दौरान उसमें उपस्थित मीणा जाति के नेता व अधिकारियों ने संविधान निर्माताओं के साथ धोखा दिया जिससे उन्होंने हार शब्द को हटाकर सिर्फ मीणा शब्द ही रहने दिया और इस प्रकार मीणा जाति को आरक्षण प्राप्त हो गया मीणा जाति की कई उपजातियां भी हैं आज उन्हें भी आरक्षण की आवश्यकता है लेकिन उस समय जो उपजातियां मीणा वर्ग में शिक्षित थी वही पूरे आरक्षण का लाभ ले गई और उन्होंने अन्य जातियों को उभरने का मौका ही नहीं दिया इस प्रकार मीणा सरकारी आरक्षण का गलत लाभ उठाकर आज काफी आगे बढ़ चुके हैं आज राजनीति में भी वह अच्छा रसूख रखते हैं और देश की दोनों ही पार्टियों में इनके नेता उपस्थित हैं जो इस आरक्षण को खत्म नहीं होने देते वह अपनी जनसंख्या को वोट बैंक के रूप में दिखाते हैं साथ ही अधिकारियों के बीच उनकी उपस्थिति व्यवस्था परिवर्तन के सिद्धांत को कमजोर करती है
     2. मीणा जिस इलाके में रहते आए हैं उस इलाके में प्राचीन काल से ही अन्य जातियां निवास करती रही हैं जिनमें एक प्रमुख जाती है गुर्जर यह जाति भी उनके साथ सदियों से रहती आई है और यह खेती बाड़ी का काम करते हैं गुर्जर राजस्थान में शासक भी रहे हैं तथा अधिकांश गुर्जर कृषि से जुड़े हुए हैं इस प्रकार इन्हें संविधान में ओबीसी आरक्षण दिया गया है लेकिन अब यह अपने ओबीसी आरक्षण से संतुष्ट नहीं हैं जिसका कारण सिर्फ नेताओं द्वारा की गई उन्नति है जिससे पैदा हुआ असंतुलन इनके जलन का कारण है जो एक जायज मांग भी है पति और समान मेहनत के बावजूद गुर्जर उस स्थिति में नहीं पहुंच पा रहे हैं लेकिन सरकार उनके आंदोलन को सही से समझ नहीं पा रही है गुर्जर खुले रुप से मिला आरक्षण का विरोध करके खुद को ST जातियों में शामिल कराना चाहते हैं लेकिन राजस्थान सरकार ने अलग से 5% आरक्षण देकर संतुष्ट करना चाहती है लेकिन गुर्जर अपनी संख्या बल के आधार पर हर साल सरकार को डराते हैं और यह कभी रेल बंद तो कभी सड़क बंद कर देते हैं हर साल फसल कटने के बाद गुर्जर इस आंदोलन में बड़ी मात्रा में शामिल होते हैं
       3. अब इस आंदोलन की आस-पड़ोस के जाट पटेल जाति में भी फैलने लगी है दरअसल जाट जोके हरियाणा राजस्थान व यूपी में रहते हैं उनसे आगे राजस्थान में गुर्जर मीणा रहते हैं उसके और पश्चिम की तरफ चलने पर पटेल रहते हैं संविधान में हरियाणा के जाटों को आरक्षण नहीं दिया गया है लेकिन यूपी व अन्य प्रांतों के जाटों को आरक्षण दिया गया है हरियाणा के जाट आजादी से पहले से ही देश के सबसे समृद्ध कॉम में गिने जाते हैं लेकिन उन्हें भी अब आरक्षण की आग लग रही है इसका बड़ा कारण नीरा गुर्जर असंतोष के बाद इनके मध्य फैल रहा है जाट भी एक किसान जाती है जो की फसल कटने के बाद बड़ी मात्रा में इकट्ठे होकर प्रदर्शन करते हैं अन्ना का आंदोलन अधिकांश से हिंसक हो जाता है और उसे पुलिस फ़ौज भी नहीं रोकती है क्योंकि इन इलाकों में पुलिस फ़ौज में जो लोग हैं वह जाट परिवारों से ही आते हैं साथ ही अन्य किसान जातियों में भी इन जातियों के प्रति वर्ग भावना पनप जाती है जो कि आम आदमी पर गोली चलाने से हो सकती है जाटों का यह आरक्षण आंदोलन एक खतरनाक भविष्य की ओर संकेत देता है हर साल इस आंदोलन में अरबों रुपए की छत कई नौजवान गोलियों के शिकार होते हैं
       4. राजस्थान के पश्चिम दिशा में पटेल जाती रहती है जो राजस्थान से शुरू होकर पूरे गुजरात में पाई जाती है पटेल भी आर्थिक रूप से इस देश की बहुत ही समृद्ध जाति में गिने जाते हैं पटेल खुद को राम के छोटे भाई लक्ष्मण से जोड़ते हैं और खुद को लक्ष्मण का वंशज या उनकी प्रजा बताते हैं पहले से ही पटेल अधिकांश जमींदार रहे हैं सल्तनत काल से ही इनके रसूख को इतिहास बताता है अधिकांश इलाकों में यह स्वतंत्रता की तरह ही व्यवहार करते थे यह अधिकांशत है व्यापार ही करते हैं और खेती मजदूरों से करवाते हैं लेकिन हार्दिक पटेल नाम के लड़के ने जब आरक्षण की आवाज उठाई तो लाखों की संख्या में पटेल सड़कों पर उतर गए और गुजरात में इन्होंने अपने आंदोलन की सारी हदें पार कर दी जब तक गुजरात में नरेंद्र मोदी का शासन था तो वह अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ से इन्हें कंट्रोल रखते थे लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पटेल गुजरात में बेलगाम हो गए हैं और अपनी अच्छी आर्थिक व सामाजिक स्थिति के बावजूद यह आरक्षण की मांग सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि पूरी तरह से अपने रसूख का लाभ उठाकर सरकारी पदों पर बैठ जाएं जो कि गुजरात में रहने वाले अन्य जातियों के खिलाफ उनका हक मारने जैसा होगा क्योंकि ऐसा देखा गया है कि जब कोई जात शासन में होती है और उसे आरक्षण का लाभ हो तो अधिकांश चयनित व्यक्ति उसी जाति से आते हैं भारत के शासन चलाने वाले लोगों को यह अच्छी तरह से समझना होगा कि जो भी जाते जिस भी प्रांत में शासन में है उसे आरक्षण का लाभ न मिले अन्यथा यह देश में एक असंतुलन पैदा कर देगा और देश में भारी असंतोष का कारण बन सकता है 4. इस प्रकार हम देखते हैं कि उत्तर भारत में उठा रहे आरक्षण आंदोलनों की जड़ में सबसे पहले एक तथ्य है वह है कि मीणा नामक जाति को दिए गए आरक्षण के कारण पैदा हुआ असंतुलन और इस असंतुलन के कारण दूसरी जातियों में पैदा हो रहा असंतोष और इस असंतोष के कारण ही यह जातियां आज आंदोलन पर उतारू हैं क्योंकि किसी भी जाति को दिए जा रहे आरक्षण पर आज हर आदमी यह सवाल उठा रहा है कि क्या उसको दिया गया आरक्षण जायज है क्या उस जाति की या उस व्यक्ति की आर्थिक व सामाजिक स्थिति ऐसी है कि उसे अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएं क्या यह जरूरी नहीं है कि हम उन जातियों को आरक्षण से बाहर निकालें जो पहले से ही बहुत अधिक विकसित हो चुकी है
    5. मीणा जाति के संबंध में यह तथ्य अधिक खास है क्योंकि किस जाति को दिए गए आरक्षण के कारण देश में 92 प्रतिशत एसटी जातियां अपना विकास नहीं कर पा रही हैं आजादी के 70 साल के बाद भी आपको अधिकांश राज्यों में इन्हें सड़क के किनारे कच्चे घरों में रहते हुए देखा जा सकता है उत्तर प्रदेश में हाइवे के किनारे रहने वाली अधिकांश जातियां नटखट आदि आज भी बहुत बुरी स्थिति में हैं क्योंकि अगर इनमे से कोई पढ़ लिख भी जाए तो उसे सरकारी नौकरी का लाभ नहीं मिल पाता है ऐसी स्थिति में सरकार को विचार करना चाहिए कि मीणा जाति का आरक्षण एसटी से खत्म कर उन्हें अन्य वर्ग में स्थान दिया जाए या उन्हें पूरी तरह से आरक्षण से बाहर कर दिया जाए जिससे अन्य ST वर्ग की जातियों का भी कल्याण हो सके जय हिंदwww.google.com

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