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Kendriy bus nigam

केंद्रीय बस सेवा: समय की मांग भारत में आरक्षण के साधनो में रेल बस जहाज आज साधन प्रचलित हैं। इनमें से सड़क परिवहन भारत में परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन है। और सड़क परिवहन में अनेक प्रकार के साधन प्रचलित हैं जिसमें से यात्री परिवहन के लिए सबसे अधिक उपयोग में आने वाले साधन बस टैक्सी रिक्शा है। बस भारत में यात्री परिवहन के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सर्वाधिक उपयोगी वाहन है। यात्री परिवहन के लिए बस परिवहन एक पर्याय है। सड़क परिवहन के 90 फ़ीसदी यात्री बसों से ही यात्रा करते हैं। भारत में बस परिवहन मैं सरकारी प्राइवेट दोनों ही तरह के संचालक हैं जहां सरकारी बस परिवहन एक संगठित रूप से कार्य कर रहा है वहीं प्राइवेट बस परिवहन पूरी तरह से असंगठित है। सरकारी क्षेत्र के बस निगम की अगर बात करें तो भारत में बस निगम हर राज्य के अलग-अलग हैं और यह राज्यों के निगम ही राज्य के अंदर बस सेवा प्रदान करते हैं साथ ही कुछ अंतर्राजीय बसे भी चलाते हैं जो आसपास के राज्यों तक बस सेवा प्रदान करती हैं। इस प्रकार की व्यवस्था लगभग सभी राज्यों के बस निगमों में है। साथ ही निजी बस चालक व उनके संघ भी भारत में राज्य व अंतर राज्य बस सेवा प्रदान करते हैं यह निजी बस सेवा चालक लंबी दूरी की बस सेवाएं भी प्रदान करते हैं जिनमें लग्जरी बसें डीलक्स सेमी डीलक्स एसी व नॉन एसी सभी प्रकार की बातें होती हैं जो लोग अपनी आवश्यकता अनुसार वह किराए के अनुसार बुकिंग करा सकते हैं साथ ही आजकल राज्यों के बस निगमों ने भी इसी प्रकार की ऐसी नॉन एसी स्लीपर सभी प्रकार की बस सेवाएं शुरु कर दी हैं। इन राज्यों के बस निगम प्राइवेट बस संघ चालक होने के बावजूद भारत में आज एक केंद्रीय बस सेवा या केंद्रीय बस निगम की आवश्यकता तेजी से महसूस की जा रही है। जो कि केंद्र सरकार का सरकारी या अर्ध सरकारी उपक्रम हो और पूरे देश में जिसका एक ही कंपनी नाम से परिचालन होता हो और जिसकी खुद की एक वेबसाइट हो जिससे किसी भी जगह से उसमें रिजर्वेशन भी किया जा सके तथा किसी केंद्रीय पुलिस बल द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाए। केंद्रीय बस सेवा शुरू करने की आवश्यकता कई कारणों से महसूस की जा रही है। भारत में आज लोगों का देश के अंदर आना जाना बहुत बढ़ गया है यानी कि भारत में यात्रियों की संख्या पिछले 10 साल में कई गुना बढ़ी है और अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ-साथ अगले कई सालों तक इस में बढ़ोतरी होने की भी संभावना है तथा भारत में वर्तमान में उपलब्ध संसाधन जो कि लंबी व मध्यम दूरी के लिए प्रयोग किए जाते हैं वह वर्तमान में अपर्याप्त साबित हो रहे हैं । लंबी दूरी के साधनों में रेल बाज़ार बस ट्रांसपोर्ट ही अधिक उपयुक्त हैं और रेल भारत में साल में 9 से 10 महीने अपनी क्षमता से अधिक यात्री माल होती हैं और अधिक रेल का विस्तार करने की गुंजाइश अब कम ही है वह इस समय खर्च भी अधिक है इसके बाद वायु परिवहन भारत में पूरी तरह से विकसित नहीं है और जो भी है वह या तो बहुत महंगा है। इस प्रकार वर्तमान रेल वायु परिवहन मध्यम दूरी के परिवहन के लिए अपर्याप्त ही हैं और भविष्य में यात्रियों की बढ़ती संख्या को पूरी तरह रोक पाना मुश्किल होगा। बस परिवहन छोटी से मध्यम दूरी व लंबी दूरी की भी आवश्यकता पूरी कर सकता है छोटी दूरी के लिए तो सिटी बस वह राज्य की परिवहन बस व टैक्सी ऑटो रिक्शा जैसे साधन ही सही हैं लेकिन मध्यम दूरी की यात्रा में बस्ती अधिक उपयुक्त समझी जाती है भारत में यह सेवा राज्य बस निगम व निजी संचालक प्रदान करते हैं राज्य बस निगमों की अपनी परेशानियां हैं वह लंबी दूरी में एना की सीमाएं हैं क्योंकि यह अधिकांश पड़ोसी राज्यों तक ही बसे चलाते हैं। भारत में कुछ राज्य बस निगम तो बहुत अच्छी तरह से चल रहे हैं लेकिन कुछ राज्यों के बस निगम की हालात बहुत खराब हैं जिसका कारण खराब खराब व्यवस्थापक वह कहीं आर्थिक संसाधनों की कमी है साथ ही राज्य के निगम राजनीतिक जरूरतें भी पूरी करते हैं और इन पर सामाजिक जिम्मेदारी पूरी करने का दबाव भी होता है राज्य बस निगमों की बसों के किराए में अंतर भी पाया जाता है और एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा करने में अलग-अलग निगमों की बसों को बदलना पड़ता है। लंबी दूरी की यात्रा में या अंतर्राज्यीय बस यात्रा में अधिकतर निजी बस चालकों का ही सहारा लेना पड़ता है और यह बसें निजी चालकों द्वारा ही चलाई जाती हैं लंबी दूरी की यात्रा में कोई परेशानी आने पर जैसे बस खराब हो गई तो निजी बस चालक दूसरी बस का इंतजाम नहीं करा पाते अर्थात परेशानी को हल करने में दिक्कत आती है साथ ही इनसे कोई झगड़ा किया मतभेद होने पर शिकायत करने की कोई व्यवस्था नहीं होती और अगर बस चालक रास्ते में ही बस से उतार दे तो उसकी आप कहां शिकायत करोगे क्योंकि बस तो उसकी निजी है। इस प्रकार निजी बस चालकों का कोई बड़ा संगठन भी नहीं है जो अखिल भारतीय स्तर पर बसे चलाता हो और नहीं कोई कंपनी है जो पूरे देश में बस सेवा प्रदान करती हो जिससे ऊपर बताई गई परेशानियों का समाधान हो सके या लंबी दूरी में एक ही कंपनी की बस से यात्रा पूरी की जा सके क्या सेवा में शिकायत होने पर बस बदल सकें या शिकायत करने पर यात्री को कुछ सुविधा मिल सके या कोई सहायता उपलब्ध हो सके। ऐसी स्थिति में केवल राज्य की पुलिस में शिकायत करना ही विकल्प बचता है या निजी चालकों द्वारा सुविधा बड़ी मुश्किल से ही दी जाती है जहां सुरक्षा की दिक्कत भी बहुत होती है। आज दिन ऊपर बताई गई परेशानियों की वजह से केंद्रीय बस निगम की बहुत आवश्यकता है और आज देश भर में राजधानी एक्सप्रेस की तर्ज पर जिला एक्सप्रेस चलाने की आवश्यकता है देश के जिला मुख्यालयों को एक दूसरे से केंद्रीय बस सेवा द्वारा जोड़ा जाना जरूरी है क्योंकि व्यापारी देशभर में भ्रमण करते हैं साथ ही केंद्रीय कर्मचारी यात्री सैनिक आज भी आज देशभर में अनजान जगहों पर जाते हैं अगर यह बस सेवा केंद्रीय हो तो कम से कम जिला मुख्यालय तक यात्रियों को संकोच नहीं होगा क्योंकि उन्हें सुरक्षा व भाषा की दिक्कत नहीं होगी विशेषकर परिवार व महिलाओं के साथ चलने पर संकोचवश डर कम महसूस होगा। देश में होली दीपावली का त्योहार के मौसम में रेलवे में यात्रियों की बाढ़ आ जाती है रिजर्वेशन अगर नहीं होता तो यात्रा करना नर्क से भी बुरा अनुभव हो जाता है रेलवे को तो एकदम अचानक बढ़ा नहीं सकते ऐसे में अगर लंबी दूरी की बसें चलती हैं तो लोग उनमें यात्रा कर सकेंगे वह यह सेवा अगर केंद्रीय निगम देता है तो लोगों के लिए ज्यादा भरोसेमंद होगा और बसों को त्योहारी मौसम में बढ़ाना व घटाना आसान काम है यही स्थिति देश में कहीं मेल आया बड़ा आयोजन होने के वक्त भी होती है तो बसों को कम या ज्यादा करना वहां भी आसान होगा। भारत में बस यात्रा काफी महंगी लगती है साथ ही किराया में भी अंतर पाया जाता है केंद्रीय बस निगम देशभर में किराया के मानक तय कर देगा और जहां अन्य निगम बस सेवा नहीं दे पाते वहां भी यह बस सेवा प्रदान कर सकता है केंद्र सरकार के पास राज्यों से ज्यादा संसाधन होते हैं तो वह आवश्यकता अनुसार कई इलाकों में छूट भी प्रदान कर सकते हैं। लंबी दूरी की यात्रा में सुरक्षा के मानक उच्च होने चाहिए तथा सुविधा भी अधिक चाहिए केंद्रीय विकास निगम अपने अधिक संसाधनों से इस आवश्यकता को पूरा कर सकता है। साथ ही आजकल नेश नल हाईवे पर या केंद्रीय बस निगम के लिए एक अलग सिक्योरिटी फोर्स की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है जो रेलवे के RPF फोर्स की तरह अलग होना चाहिए जो उसी तर्ज पर लंबी दूरी की बस सेवा में सुरक्षा के लिहाज से तुरंत कार्रवाई कर सके। और यह केंद्रीय स्तर का कोई बड़ा निगम ही ऐसा कर सकता है क्योंकि इन सुविधाओं का खर्च उठाना छोटे निवेशकों के लिए मुश्किल है। केंद्रीय बस निगम एक बड़ी कंपनी होगी जो एक इस क्षेत्र में आने वाली नई नई तकनीकों को अपनाने में सक्षम होगी और अपने बड़े संसाधन व केंद्र सरकार का साथ होने से नए शोध व पर्यावरण मानकों का अनुपालन भी कर सकेगी । इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को यात्रियों की सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था भी कर सकेगी जोकि छोटे संचालक प्रदान नहीं कर पाते है।www.google.com



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