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तालाब जोड़ो परियोजना

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जो विकासशील अवस्था में है। और अपने विभिन्न उद्योगों को तेजी से विकसित कर रहा है। इस तेजी से होते विकास के बीच भारत अपने प्राकृतिक संसाधनों को तेजी से प्रयोग कर रहा है। जिनका सुनियोजित उपयोग न होने के कारण उनकी उपलब्धता में परेशानियां आ रही है। भारत में जल एक बहुतायत मैं उपलब्ध एक प्राकृतिक संसाधन है। जो धरती पर जीवन का आधार भी है। इसका उपयोग हर प्रकार के उद्योगों पशुपालन कृषि मानव के स्वयं के लिए भी होता है। भारत में इसके अनिमियता प्रयोग ने आज कई जगह कृषि संकट पेयजल संकट पैदा कर दिया है। अभी तो एक संकट की शुरुआत हुई है। आगे चलकर अगर इस समस्या का समुचित निदान नहीं किया गया भारत में भीषण रूप ले सकती है। भारत सरकार ने एक जल संसाधन मंत्रालय भी है। कहने को तो इनके पास एक water management policy है। और हमारे देश में यह मंत्रालय एक महत्वहीन विभाग है। यहां पॉलिसी बहुत इफेक्टिव रूप से न तो कभी बनाई जाती है और नहीं सरकार इसको सही ढंग से लागू करती है। इन पॉलिसी को बनाने के लिए जमीनी स्तर पर ठीक ढंग से अध्ययन भी कम ही किए जाते हैं। भारत में water management policy मैं कुछ महत्वपूर्ण विषय इस प्रकार हैं। जैसे 1. नदी जोड़ो योजना. 2. तालाब पुनरुद्धार योजना 3. जल मार्ग निर्माण योजना 4. नहरों द्वारा सिंचाई योजना 5. पेयजल प्रदान करने वाली योजनाएं 6. बाढ़ रोकने से संबंधित योजनाए भारत सरकार में अटल बिहारी बाजपेई के समय नदी जोड़ो परियोजना पर बहुत तेजी से काम हुआ लेकिन उस समय योजना में काफी सारी आपत्तियां भी आई इसमें हजारों लोगों के गांव डूबने का खतरा था उनके विरोध को किसी जनतांत्रिक सरकार को सहन करना आसान काम नहीं है जिस कारण अगली सरकार में यह योजना धीमी पड़ गई और इसके अच्छे प्रभाव का आकलन नहीं हो सका। भारत सरकार दक्षिण भारत में पुराने तालाबों के पुनरुद्धार पर भी ध्यान दे रही है और उनकी सफाई मछली पालन व गहराई बढ़ाने के लिए धन का आवंटन हर साल किया जाता है इसके अलावा मनरेगा व राज्य सरकार की कई पेयजल योजनाएं जैसे भूमि का जल स्तर ऊंचा उठाने के लिए recharge of water bhaiya well शहरों में कार्यरत हैं जिससे पानी को जमीन में वापस भेजा जा सके। इस निबंध में हम इन योजनाओं के विवरण से पहले तालाब जोड़ने की योजना पर कुछ विवरण अध्यन प्रस्तुत करना चाहते हैं। भारत में प्राचीन काल से तालाबों से सिंचाई होती आ रही है उत्तर भारत में पानी का मुख्य स्रोत बारिश के अलावा हिमालय से बहने वाली नदियां है जो साल भर पानी देती रहती हैं इन नदियों में बारिश के महीनों में पानी उफान पर होता है जो मिट्टी के कटाव वह पूर्वी भारत में बाढ़ का कारण बनता है जबक गर्मी के मौसम में इनमे पानी कम हो जाता है जब नदियों से दूर के इलाकों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है लेकिन नदियों से निकाली गई नहरें वह नाले गांव तक पानी पहुंचाते हैं जो पानी के वितरण व निकासी दोनों का ही कार्य करते हैं तथा बारिश के मौसम में जो तालाब भर जाते हैं उनसे गांव में पानी बना रहता है और पशुओं के पिलाने के कार्य आता है लेकिन आजकल तालाबों का उपयोग सिंचाई के लिए कम होता है सिंचाई के लिए नलकूप का इस्तेमाल अधिक हो रहा है जिससे कुछ ही समय में भूमिगत जल का स्तर गिर जाता है और कई इलाकों में गिरते-गिरते पानी खत्म हो जाता है जिससे उस इलाके में जीवन मुश्किल हो जाता है तालाबों को उन्हें स्थापित करने के साथ ही तालाबों को एक दूसरे के साथ जोड़ा जाना चाहिए इसे पूरा एक तालाब जोड़ो परियोजना का नाम देना होगा। तालाब जोड़ो परियोजना सुनने में काफी अजीब लग सकता है लेकिन भारत में यह एक हकीकत रही है भारत में प्राचीन काल से या लगभग दो ढाई हजार साल से सभी तालाबों को जोड़ने का काम चालू था और पानी का वितरण तालाबों के जुड़े होने से हर गांव तक आसानी से पहुंचाया जा सकता था इतिहास में ऐसे साथ मिलते हैं कि कई राजा-महाराजा पुण्य अर्जित करने के लिए बड़े तालाब झील बनवाते थे गुप्त काल में कुछ राजाओं ने राजस्थान में झील का निर्माण कराया था तथा पूरे राजस्थान में उपलब्ध बावड़ियां बड़े-बड़े राजाओं ने बनवाई है जो कि भूमिगत नदी से जुड़ी हुई हैं इन बावड़ियों में पानी कभी खत्म नहीं होता था क्योंकि भूमिगत नदी जो कि राजस्थान की जमीन के नीचे बहती है वहां तक इनकी गहराई होती थी और बावड़ियों में बारिश का पानी भरने पर नदी भी पानी से भर जाती थी और राजस्थान में भी पानी की कभी कमी नहीं होती थी हम यहां जिस तालाब जोड़ो परियोजना की बात कर रहे हैं वह दरअसल भारत में प्राचीन काल से मौजूद रही है लगभग ढाई हजार साल पहले से आर्यंस के आगमन के पहले से या उनके उत्तर भारत में खेलने के साथ-साथ बनाया गया सिस्टम है ढाई हजार साल से मौजूद इस व्यवस्था को पुनः स्थापित करने की बात कह रहे हैं। भारत में पानी का समुचित वितरण एवं भंडारण सुनिश्चित करने में इन तालाबों की बड़ी भूमिका रही है आज भी आप किसी गांव कस्बा शहर का मुआयना करें तो पाएंगे कि आबादी के हिसाब से और उसके बचाव के आधार पर तालाब झील शहर के बीच या बाहरी किनारों पर बनाए जाते थे जो आज भी पाए जाते हैं गांव में तालाब इस प्रकार बनाए गए हैं कि बस्ती का पानी तालाब में जा सके और फिर छोटे तालाब गांव के बाहरी किनारों पर बने बड़े तालाब से जुड़े होते हैं। और यह बड़े तालाब पड़ोसी गांव के बड़े तालाबों से जुड़े होते थे इस प्रकार गांव के छोटे तालाब बड़े तालाब से बड़े तालाब आपस में जुड़े होते हैं जो बाहर जाकर किसी बड़े पानी के बहते स्रोत जैसे नदी नहर नाले या इलाके के बड़े झील या पानी के बहुत बड़े भंडार क्षेत्र से जुड़े होते हैं इस प्रकार पानी का एक पूरा का पूरा पारिस्थितिकीय तंत्र तैयार हो जाता है और यह तंत्र लगभग पूरे भारत में पाया जाता है तथा आज से लगभग 50 साल पहले तक तो यह अच्छी तरह से उपस्थित था। भारत में आजादी से पिछले लगभग 50 साल पहले से ग्रामीण भारत के पुराने व्यवस्था की ओर बहुत कम शासकों ने ध्यान दिया। क्योंकि यह शासक बाहर से आए आक्रमणकारी थे जो अपने को स्थापित करने में लगे रहते थे और इनका आगमन भारत में किस प्रकार होगा कि एक दल के बाद दूसरा दल फिर तीसरा दल इस प्रकार नए नए कल लंबे समय तक बाहर से आते रहे और सत्ता परिवर्तन भी तेजी से होता रहा यह तल ग्रामीण भारत से टैक्स की उगाही उनके रूप में करते थे उन्हें सिर्फ इस आय से ही मतलब था बहुत कम की शासकों ने गांव में बने इस व्यवस्था को जो सिंचाई पूरे तंत्र को चलाने में सहायक थी की ओर ध्यान दिया और इस प्रकार देश के ग्रामीण इलाकों में नई सड़कें या नई इमारतों के बनने के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है इस युग में इस तंत्र को स्थानीय जमीदार व स्थानीय जनता अपनी समझ व जरूरत के अनुसार व्यवस्थित रखती थी अब क्योंकि गांव में इस तंत्र की ओर लंबे समय तक किसी केंद्रीय सरकार का ध्यान नहीं था लेकिन ग्रामीण भारत में पानी की निकासी की थोड़ी समझ होने की वजह से यह व्यवस्था अर्धकुशल रूप में बनी रही इसका एक कारण यह भी है कि गर्मी के मौसम में पानी कम हो जाता था तब ग्रामीण लोग अपने घरों को बनाने के लिए मिट्टी इन्हीं तालाबों से निकालते थे जिससे तालाब साफ बहरे हो जाते थे और बाकी वर्ष भर गांव का पानी मिट्टी इन तालाबों में जमा होता रहता था जिससे गांव की सफाई बनी रहती थी और पानी की निकासी बनी रहती थी इस प्रकार यह एक पूरा इकोसिस्टम बना हुआ था। भारत में तालाब तंत्र का पिछले 50 साल में सबसे अधिक बाधित हुआ है यानी आजादी के बाद यह तंत्र ज्यादा खराब हुआ है । भारत में पिछले 50 साल में अर्थात आजादी के बाद ग्रामीण भारत में विकास बेहताशा हुआ है प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में हर गांव तक पक्की सड़क बनी है और गांव में आजकल पक्के भवन बनने लगे हैं इन सब से गांव का यह तंत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है सड़क के बनाते समय तालाबों को जोड़ने वाले मार्गों यानि जल निकास मार्गों को गड्ढे समझकर कर दिया गया और यह रास्ते रुक गए जिससे तालाब एक दूसरे से जुड़े रहकर अलग अलग हो गए तथा पवन चक्की बनाने से तालाबों की गर्मी में होने वाली सफाई रुक गई इस प्रकार तालाब भरने लगे और इससे पानी की निकासी सही न होने से पानी का भंडारण गांव में प्रभावित होने लगा इन वर्षों में जमीन की महंगाई बहुत बड़ी है जिससे तालाबों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर उनमें घर मकान बना लिए खेती करना शुरू कर दिया। इस प्रकार पानी के भंडारण पर निकासी का यह पूरा तंत्र शीघ्र ही विलुप्त हो गया और आज गांव में भी पानी जमीन से निकालने के लिए नलकूप हैंडपंप लग गए हैं जिससे जमीन के नीचे का जलस्तर तेजी से गिरने लगा है और पानी के जमीन मैं फिर से भेजने की कोई भी सुविधा नहीं की गई है जिससे पानी जमीन के नीचे लगातार कम होता जा रहा है कई क्षेत्रों में पानी इतना तक नीचे जा चुका है कि वहां पीने के पानी की समस्या पैदा होने लगी है और खेती के लिए पानी की समस्या तो बयां व होती जा रही है जमीन में पानी नहीं होने से उन क्षेत्रों में खेती होनी बंद हो गई है पैदावार कम हो रही है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बुंदेलखंड महाराष्ट्र के लातूर जैसे जिले हैं जबकि तालाब यह पानी को जमीन में फिर से भेजने की सुविधा प्राकृतिक रूप से ही देते थे तालाबों में भरा पानी जमीन सोचती रहती थी जिससे जमीन के नीचे पानी बना रहता था और जमीन में नमी रहने से सूखे जैसे हालात कम पैदा होते थे बुंदेलखंड महाराष्ट्र जैसे इलाकों में तालाब फिर से जिंदा कर इन को आपस में जोड़ा जाना आवश्यक है जो यहां की समस्या को हल कर सकता है। भारत के पश्चिमी राज्यों में सूखा रेगिस्तान पड़ रहा है जिसका एक बड़ा कारण जमीन में पानी की कमी होना है इस समस्या से उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा राजस्थान दिल्ली मध्य प्रदेश हरियाणा का कुछ हिस्सा प्रभावित होने वाले हैं आगे आने वाले समय में इस इलाके में रेगिस्तान का विस्तार होगा जो इस इलाके में बसी धनी बसती वाली जनसंख्या को स्थापित होने को मजबूर कर सकता है जो भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगा। भारत के पश्चिमी हिस्से में तथा पूरे भारत में ही कम बारिश हो रही है बारिश लगातार हर साल उन इलाकों में कम होती जा रही है जिन इलाकों में पानी के भंडारण कम पाए जाते हैं और इससे इन इलाकों की हरियाली गायब हो रही है क्योंकि इन भंडारों से जो पानी भाप बनकर ऊपर जाता है वही बादल बनकर सभी जगह स्थानीय वर्षा करता है इन इलाकों में सूखा पड़ रहा है स्वच्छ पानी को पीने योग्य पानी की लगातार कमी हो रही है। www.google.com
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