FUTUTR WARFARE भविष्य में ड्रोन टेक्नोलॉजी युद्ध का नया स्वरूप बनने जा रहा है अगले एक दशक में यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह से बाजार में आ जाएगी अब छोटे ड्रोन बनाना एक सामान्य टेक्नीशियन के लिए भी आसान है और GPRS टेक्नोलॉजी से कहीं भी सटीक निशाने तक भेजा जा सकता है आने वाले समय में यह तकनीकी और अधिक विकसित होकर सामान्य आदमी की पहुंच में भी होगी और यह टेक्नोलॉजी युद्ध का स्वरुप ही बदल देगी। बड़े अपराधी इस सस्ती टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकते हैं जो पुलिस के लिए एक बड़ा चैलेंज होगा क्योंकि पुलिस अभी भी इतनी अधिक तकनीकी से वाकिफ नहीं है हमारी सेना भी इन्हें रोकने में अभी तक सक्षम तकनीकी विकसित नहीं कर पाई है। ड्रोन अटैक को रोकने के लिए नए तरह के जीव जंतुओं को हथियार की प्रशिक्षण दिया जा रहा है ड्रोन अटैक रोकने के खिलाफ बाज व उसके जैसे अन्य पक्षी खासे कारगर साबित हो सकते हैं बाज की नजर बहुत तेज होती है और यह छोटे ड्रोंस को अपने पंजों में दबा कर दूर फेंक देते हैं तथा बाद प्राचीन काल से ही राजा महाराजाओं के साथ उनके रक्षक के रुप में रहते आए हैं यह उनके साथ रक्षक साथी प्रहरी व संदेशवाहक का भी कार्य करते थे इससे यह सिद्ध होता है कि इन्हें ट्रेनिंग देकर अपने उपयोग में लाया जा सकता है क्योंकि इनकी पैनी निगाह ऊंचाई से देखने व विचरण करने की क्षमता युद्ध के हिसाब से CAP (COMBAT AIR PETROL) का काम करने के लिए सबसे अच्छी है बाज आसानी से ड्रोन को पंजे में पकड़कर दूर फेंक सकता है और हमारे किसी भी इंस्टॉलेशन पर होनेवाले आक्रमण से बचा जा सकता है फ्रांस में सेना अपने एयर बेस की ड्रोन से सुरक्षा के लिए बाज को ट्रेनिंग दे रही है और वहां इनके लिए एक ट्रेनिंग स्कूल चला रही है जिसमें परीक्षण सफल रहे हैं
2. जंगली इलाकों में सीआरपीएफ के जवानों को गाड़ियों के साथ-साथ घोड़े और खच्चर भी देने चाहिए क्योंकि इन जंगली इलाकों में सड़के न होने की वजह से गाड़ियों से पेट्रोलिंग करना मुश्किल होता है और अपना सामान पहुंचाने के लिए गाड़ियों का इस्तेमाल करने में दिक्कत आती है जंगल में अचानक आक्रमण होने पर जवान इधर-उधर भाग नहीं पाते तथा नक्सलियों के भागने पर उनका पीछा करना भी मुश्किल हो जाता है ऐसी परिस्थिति में घोड़े ज्यादा अच्छा काम करते हैं घोड़े उबड़-खाबड़ जमीन पर तेजी से दौड़ सकते हैं घोड़े प्राचीन काल से ही युद्ध के लिए प्रयोग होते रहे हैं इन्हें किसी भी प्रकार के उबड़-खाबड़ क्षेत्र में आराम से प्रयोग किया जा सकता है नक्सली इलाकों में जहां बिल्कुल भी सड़कें नहीं हैं उन इलाकों में सेना को पेट्रोलिंग करने तथा रसद पहुंचाने में जो वाहन इस्तेमाल होते हैं उनके साथ घोड़े और खच्चर भी एक अच्छा कार्य कर सकते हैं साथ ही इनके प्रयोग पर कोई संदेह भी नहीं है क्योंकि यह पहले से ही युद्ध में प्रयोग होते रहे हैं तथा घोड़ों को युद्ध में इस्तेमाल करने की तकनीकी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आज भी जिंदा हैं यह जंगली इलाकों में सर्च एंड कॉन्बिंग ऑपरेशन के लिए काफी मददगार हो सकते हैंwww.google.com
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