एक बरगद के वृक्ष के नीचे एक कछुआ और खरगोश दोनों रहते थे दोनों में अच्छी दोस्ती थी एक दिन बात ही बात में खरगोश ने कछुए से कहा कि वह बहुत तेज दौड़ सकता है और उससे संसार में कोई भी चीज तेज नहीं तोड़ सकती इस पर कछुए ने कहा कि भाई सही बात है कि तुम तेज दौड़ सकते हो लेकिन इतना घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि जो घमंड करता है वह पीछे रह जाता है.
इस बात से खरगोश चढ़ गया और उसने कछुए को चुनौती दे डाली बात ही बात में कछुए ने भी चुनौती स्वीकार कर ली और तय हुआ के अगले दिन दोनों में दौड़ होगी
खरगोश ने उस बरगद के पेड़ से दूर एक दूसरा बरगद का पेड़ ढूंढा जो वहां से दिखाई देता था और कहा कि वहां तक दौड़ होगी उस पेड़ तक जो पहले पहुंचेगा वही विजेता कहलाएगा कछुए ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया
अगले दिन दौड़ निश्चित स्थान से निश्चित समय पर शुरू हुई खरगोश तेज दौड़ने लगा और वह बहुत दूर निकल गया कछुआ धीरे धीरे चल रहा था क्योंकि वह तो सुस्त चाल से ही चलता है थोड़ी देर में जब खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ बहुत पीछे रह गया है तो उसने सोचा कि मैं थोड़ा सा विश्राम कर लेता हूं क्योंकि कछुए को तो आने में बहुत समय लगेगा ऐसा सोचकर खरगोश रास्ते में थोड़ी देर विश्राम के लिए रोका लेकिन थका होने की वजह से वह जल्दी ही सो गया और उसे पता ही नहीं चला कि वह कब सो गया
कछुआ धीरे धीरे चला आ रहा था वह धीरे धीरे चलता रहा और उसने रास्ते में खरगोश को सोते हुए भी देखा लेकिन वह फिर भी धीरे धीरे चलता ही रहा और कुछ समय बाद वह उस पेड़ के नजदीक पहुंच गया जहां वह अपने जीत के स्थान पर पहुंच चुका था और वही पर वह विश्राम करने लगा साथ ही अंय पशु पक्षी जो उसे देख रहे थे वह वहां पर खरगोश का इंतजार कर रहे थे
थोड़ी देर बाद जब खरगोश जागा तो उसने देखा कि शाम का समय हो चुका है और उसे लगाकर कछुआ तू अब बहुत दूर निकल गया होगा उसने बहुत जोर से दौड़ लगाई लेकिन जब तक वह अपने लक्ष्य तक पहुंचा तब तक वहां कछुआ पहले से ही पहुंच चुका था तब उसे हार माननी पड़ी और उसे शर्मिंदा होना पड़ा दूसरे पक्षियों ने उसका मजाक भी उड़ाया और उसने अपनी हार स्वीकार कर ली
हमें कभी भी अपनी अतिशय योग्यता पर घमंड नहीं करना चाहिए साथ ही लक्ष्य निर्धारित होने पर लक्ष्य से पहले विश्राम या बीच में रुकना नहीं चाहिए हमें लक्ष्य को पाने के बाद ही विश्राम करना चाहिए
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