कोई भी संस्था या फार्म या कह सकते हैं कि कोई व्यापारिक संस्था जिसका मालिकाना हक के आधार पर निर्धारित किया जाता है कि वह कंपनी है या कि नहीं
कोई भी संस्था फर्म या व्यापारिक संगठन अपने मालिकाना हक के आधार पर तीन प्रकार से विभाजित है
1. इंडिविजुअल प्रोपराइटर शिप फार्म या एकल स्वामित्व की व्यापारिक संस्था -- ऐसी संस्था जिसका स्वामित्व किसी एक व्यक्ति के हाथ में है उसे एकल स्वामित्व व्यापारिक संस्था कहा जाता है
1. इंडिविजुअल प्रोपराइटर शिप फार्म या एकल स्वामित्व की व्यापारिक संस्था -- ऐसी संस्था जिसका स्वामित्व किसी एक व्यक्ति के हाथ में है उसे एकल स्वामित्व व्यापारिक संस्था कहा जाता है
2. साझेदारी की व्यापारिक संस्था पार्टनरशिप- ऐसी कोई भी संस्था जो एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा चलाई जाती है वह साझेदारी की संस्था कहलाती है
3. Company - कंपनी एक ऐसी व्यापारिक संस्था है जिसमें मालिकों की संख्या या शेयरधारकों की संख्या बहुत अधिक होती है जिनकी गिनती करना भी मुश्किल हो जाता है अर्थात यह एक प्रकार की साझेदारी की व्यापारिक संस्था है लेकिन इस समय सभी मालिक इतने अधिक होते हैं कि सभी के हाथ में निर्णय लेने की क्षमता नहीं दी जा सकती या कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी व्यक्तियों से संपर्क नहीं किया जा सकता यह संस्था शेयरों के आधार पर चलती हैं इसमें बहुत अधिक शेयर होते हैं जिनके मालिक अलग-अलग होते हैं और वे अपने शेरों को बिना कंपनी को पूछे किसी को भी बेच भी सकते हैं तब ऐसी संस्था को कंपनी कहा जाता है
इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि कंपनी अपने आप में एक पूर्व संस्था है या एक प्रकार का व्यक्ति है जिसके ऊपर कोई भी नियम पूरी कंपनी पर लागू हो सकता है इसका अस्तित्व स्थाई होता है तथा यह विधान द्वारा निर्मित कृत्रिम व्यक्ति होता है कंपनी का संचालन सरकार द्वारा अधिकृत एवं शेयरहोल्डर्स द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा होता है उन्हें डायरेक्टर कहते हैं
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