आजकल मार्केट में बहुत ज्यादा उत्तल पुथल है यह समय मार्केट में वेट एंड वॉच का है इस समय मार्केट में किसी भी सेंटीमेंट में आकर अचानक पैसा नहीं लगाना चाहिए ऐसा अनुमान है कि मार्केट अभी और गिरेगा निफ्टी 9000 से नीचे भी जा सकता है यह गिरावट उसी तरह की गिरावट है जिस तरह से मार्केट 2014 में मोदी जी के आने पर चढ़ा था इसको हम इस तरह से देख सकते हैं कि अभी मार्केट में घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर दोनों ही पर लगातार बुरी खबरें बन रही हैं उसके साथ ही लगातार आ रही घोटालों की खबर ने बैंकिंग सेक्टर को हिलाकर रख दिया है जिसका लंबे समय तक पूरी अर्थव्यवस्था में प्रभाव बना रहेगा अभी 11 हजार करोड़ के नीरव मोदी घोटाले के अलावा लगभग 5 या 6 घोटाले और पेपरों में आ चुके हैं जो सुर्खियां नहीं बने हैं लेकिन इन घोटालों की रकम भी एक डेढ़ हजार करोड़ के आसपास रही है इस प्रकार यह सारे घोटाले 6हजार करोड़ से ऊपर निकल जाते हैं इसी प्रकार के अभी और भी घोटाले आने की संभावना है जो इस ओर इंगित करता है कि बड़ी मात्रा में पैसा बाहर निकला है जो मार्केट के लिए किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं है हम निम्नलिखित परिस्थितियों के आधार पर अभी से अगले 6 महीने के मार्केट के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे
अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियां
ट्रंप का अमेरिका फर्स्ट नीति - ट्रंप जब से राष्ट्रपति बने हैं तब से ही वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर काम कर रहे हैं और वह इस बात को छुपाते नहीं है खुलकर बोलते हैं इसी वजह से वह अमेरिका अमेरिका के व्यापार घाटे पर बार बार बात कर रहे हैं चीन से आयात होने वाले सामान पर वह लगातार टैक्स बढ़ा रहे हैं लगभग 375 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है अमेरिका का चीन के साथ और ट्रंप यह बता रहे हैं लोगों को कि अमेरिका के लोगों का बिजनेस और नौकरियां चीन जा रही हैं वह इन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं जिस वजह से पूरे ही मार्केट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खलबली मच गई है क्योंकि जिस ग्लोबलाइजेशन की बात अब तक अमेरिकन कंपनियां कर रही थी उससे अमेरिका को ज्यादा घाटा हुआ है और चीन इससे बहुत बड़ा फायदा उठा चुका है ट्रंप अपनी नीति पर अगर आगे बढ़ते हैं तो पूरे विश्व का व्यापार ढांचा परेशान हो सकता है
अगले 6 महीने में अमेरिका में चुनाव - अमेरिका में अगले 6 महीने में चुनाव हैं तब ट्रंप पर अब भारी दबाव है कि उन्होंने अपने चुने जाने के बाद अमेरिका फर्स्ट के लिए क्या-क्या किया उसका हिसाब दें तो हो सकता है कि ट्रंप वोटरों को लुभाने के लिए भी इस तरह की बयानबाजी ज्यादा करें लेकिन इस तरह की बयानबाजी से मार्केट में वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी जो कि लंबे समय के इनवेस्टर के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है
चीन का ट्रेजरी बिल - चीन के पास अमेरिका के लगभग 1 ट्रिलियन ट्रेजरी डॉलर्स हैं अगर अमेरिका चीन के खिलाफ कोई भी कदम उठाता है तब चीन के पास यह सशक्त तैयार है वह इन डॉलर्स को मार्केट में बेचना शुरु कर देगा और डॉलर की कीमत मार्केट में गिरणी शुरू हो जाएगी यह पूरे विश्व के मार्केट को डुबोने के लिए या पूरे मार्केट में परेशानी पैदा करने के लिए पर्याप्त है
तेल के दामों में बढ़ोतरी -- एक लंबे समय से क्रूड ऑयल के दाम में बढ़ोतरी नहीं हो रही थी जिसकी वजह से भारत का इंपोर्ट बिल काबू में था लेकिन यह परिस्थिति लंबे समय तक नहीं बने रहने वाली है इस बात के संकेत बनने लग गए हैं यह बात सही है कि अब तेल के दाम उसे स्पीड से या उतनी अधिक नहीं बढ़ेंगे लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ इस में वृद्धि लगातार होती रहेगी जबसे अमेरिका में शेल गैस से क्रूड ऑयल का उत्पादन होने लगा था तब से पूरे विश्व में तेल के दामों में लगातार कमी बनी हुई थी और ऐसी उम्मीद थी कि अब आगे चलकर तेल के दाम नहीं बढ़ेंगे लेकिन अमेरिका में लेबर कॉस्ट बहुत अधिक है जिस वजह से तेल का उत्पादन जैसे लेबर इंसेंटिव बिजनेस मैं खर्चा काफी आता है और विश्व में महंगाई लगातार बढ़ रही है यह भी भारत के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है
अमेरिका में ब्याज दरों का बढ़ना- जैसे-जैसे अमेरिका की इकोनॉमी मजबूत हो रही है अमेरिका का सेंट्रल बैंक + पहुंच गया पर ब्याज दर बढ़ाता जा रहा है इस वजह से जो पैसा 2008 की मंदी के बाद विकासशील देशों में आया था वह पैसा धीरे-धीरे निकलकर अमेरिका में वापस जा रहा है जो एक रिवर्सल स्थिति है और इस स्थिति में भारत जैसे देश में मार्केट की स्थिति बिगड़ सकती है
अमेरिका में ब्याज दरों का बढ़ना- जैसे-जैसे अमेरिका की इकोनॉमी मजबूत हो रही है अमेरिका का सेंट्रल बैंक + पहुंच गया पर ब्याज दर बढ़ाता जा रहा है इस वजह से जो पैसा 2008 की मंदी के बाद विकासशील देशों में आया था वह पैसा धीरे-धीरे निकलकर अमेरिका में वापस जा रहा है जो एक रिवर्सल स्थिति है और इस स्थिति में भारत जैसे देश में मार्केट की स्थिति बिगड़ सकती है
घरेलू परिस्थितियां
बैंकिंग घोटाले - PNB में वह 11000 करोड़ का घोटाला भारत के आर्थिक जगत के लिए एक बड़ा घोटाला है लेकिन यह तो सिर्फ एक शुरुआत हुई है इसके बाद लगभग हर बैंक में 1000 या 2000 करोड़ के या 100 या 200 करोड़ के घोटाले रोज निकल रहे हैं इससे बैंकिंग व्यवसाय की साख पर पूरी तरह से बट्टा लग गया है बैंकिंग की एक बहुत बड़ी खामी निकल कर सामने आई है जो चौका देने वाली है
कुछ वर्ष पहले मैंने कुछ लोगों के बीच में एक चर्चा सुनी थी कि बैंक में अगर आपकी थोड़ी सी सांठगांठ है तो लोन लेना और उसे पचा जाना एक आसान काम है और कुछ लोगों के बारे में ऐसा भी सुना था कि उन्होंने कुछ लाख रूपय लिए बैंक से और फिर उन्हें वह पैसे भरने नहीं पढ़े उसके लिए वह क्या जुगत लगाते थे यह तो समझ में नहीं आता था लेकिन तब यह समझ में आता था कि कहीं ना कहीं कुछ ऐसा गड़बड़ कानून है कि यह काम लोग कर सकते हैं
वह बात तो कुछ लाख रूपय उत्तर थी लेकिन यह तो बहुत बड़े घोटाले अब सामने आने लगे हैं जो दर्शाता है कि ऐसे बड़े-बड़े कलाकार लोग हैं कि वह पूरे सिस्टम को ही चुना लगाने में सक्षम है और उसके बाद विदेश भाग जाते हैं जहां पर अपने देश की पुलिस या न्याय व्यवस्था या सरकार उनका कुछ नहीं कर पाती है उल्टे उन्हें भागने में अपना सिस्टम ही मदद करता है यह एक बेहद शर्मनाक कंडीशन है जहां एक छोटा सा व्यापारी खुलेआम बैंक को धमकी दे रहा है कि वह लोन नहीं देगा तुम पर ले सकते हो तो ले लो
वह बात तो कुछ लाख रूपय उत्तर थी लेकिन यह तो बहुत बड़े घोटाले अब सामने आने लगे हैं जो दर्शाता है कि ऐसे बड़े-बड़े कलाकार लोग हैं कि वह पूरे सिस्टम को ही चुना लगाने में सक्षम है और उसके बाद विदेश भाग जाते हैं जहां पर अपने देश की पुलिस या न्याय व्यवस्था या सरकार उनका कुछ नहीं कर पाती है उल्टे उन्हें भागने में अपना सिस्टम ही मदद करता है यह एक बेहद शर्मनाक कंडीशन है जहां एक छोटा सा व्यापारी खुलेआम बैंक को धमकी दे रहा है कि वह लोन नहीं देगा तुम पर ले सकते हो तो ले लो
नीरव मोदी कांड के बाद लगभग 10 ऐसे छोटे-छोटे घोटाले जो न्यूज़पेपर की सुर्खियां नहीं बने हैं वह बाहर निकल कर आए हैं जिनमें भी बड़ी रकम फंसी हुई है ऐसे जाने कितने ही घोटाले बैंकों में हो रखे हैं और उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है यह एक सोचनीय विषय है अगर यह बैंक प्राइवेट सेक्टर के बैंक होते या सरकार के ऊपर इन का रेगुलेशन नहीं होता तो हो सकता है कि यह अब तक डूब भी गए होते यह बात मैं नहीं कह रहा हूं यह बात एक बार राकेश झुनझुनवाला ने एक टीवी शो में कही थी तब यह घोटाले सामने भी नहीं आए थे राकेश झुनझुनवाला शेयर मार्केट के एक बहुत बड़े इन्वेस्टर हैं जिन्हें शेयर मार्केट का लगभग हर आदमी जानता है
बैंकिंग किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है और वहां पर छोटा-छोटा निवेशक अपनी छोटी छोटी बचत को जमा करता है जिससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था घूमती है जब इस व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है तो बड़ी दिक्कत सामने आ सकती है
नोटबंदी और जीएसटी -- नोटबंदी और जीएसटी के कानून जब लाए गए तब इनका बहुत ज्यादा प्रचार किया गया था कि यह बहुत ज्यादा अच्छे हैं जनता ने भी सरकार को बहुत अधिक सपोर्ट किया लेकिन नोटबंदी के बाद आम आदमी में यह भी धारणा घर कर गई कि बैंक में रखा हुआ रुपया भी सुरक्षित नहीं है उसे जरूरत के वक्त हो सकता है कि बैंक से भी पैसा ना मिले इस घटना ने भी लोगों में एक संदेश पैदा किया है कि सरकार कभी भी उसके बैंक में रखे हुए पैसे को रोक सकती है
व्यापार में कोई खास बढ़ोतरी ना होना - भारतीय कंपनियों का व्यापार नोटबंदी और जीएसटी के कानून आने के बाद बुरी तरह से प्रभावित हुआ था ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि यह अब तक उबर आएगा लेकिन हाल की परिस्थितियों से ऐसा लग रहा है कि अभी भी व्यापार में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है और देश का निर्यात अभी भी कुछ खास नहीं बढ़ रहा है जबकि उस वक्त व्यापारी वर्ग बड़े-बड़े मल्टीनेशनल कंपनी जीएसटी को लागू करवाने के लिए बहुत ज्यादा आतुर थी और उन्होंने सरकार को भरोसा दिलाया था कि इससे पूरे देश में टैक्स कलेक्शन में सुधार आएगा लेकिन ऐसा अभी तक देखने में कम ही आया है इसका प्रभाव कब देखने में आएगा वह समय की बात है
फसल का उचित दाम न मिलना - पिछले कई साल से फसल के दाम में बहुत वृद्धि नहीं हो रही है जिस वजह से किसान की आय में कुछ खास वृद्धि नहीं हुई है क्योंकि फसल के दाम में वृद्धि नहीं हुई है तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था वहां की वही ठहरी हुई है और ग्रामीण भारत से कोई डिमांड मार्केट में नहीं आ रही है इसलिए कंपनियों को ग्रामीण भारत में अपना बाजार फैलाने में दिक्कत हो रही है और यह बताता है कि अभी हाल फिलहाल मार्केट में स्थिरता रहेगी और व्यापार कुछ खास बढ़ने वाला नहीं है
सरकार की स्थिरता - मोदी सरकार की सख्त नीतियां वह एक स्थाई सरकार ने लोगों में बहुत अधिक उम्मीदें पैदा कर दी थी लेकिन इसके साथ ही इस सरकार के विरोधी काफी अच्छी तरह से संगठित हो रहे हैं और यह संगठन अगले चुनाव में सरकार को अच्छी टक्कर दे सकता है लेकिन इस कंडीशन में देश में स्थाई सरकार बनने की संभावना घट जाएगी क्योंकि अगर तीसरा फ्रंट अच्छी खासी सीटें लेकर आता है तब कांग्रेस या बीजेपी इन दोनों ही सरकारों में से कोई भी सरकार पूर्ण बहुमत में नहीं होगी और सरकार पूर्ण बहुमत में ना होने से अच्छे डिसीजन लेने में सक्षम नहीं हो पाती है यह हमारा लोकतांत्रिक अनुभव कहता है और तीसरे फ्रंट में सरकार बनाने की संभावना हमेशा से ही कम रही है क्योंकि उनकी आपसी खींचतान और वैमनस्य देश को अच्छी सरकार नहीं दे पाते हैं
इस प्रकार की परिस्थितियों में अगर लोकसभा पूर्ण बहुमत की नहीं होती है तब देश के राजनीतिक वातावरण को पूरी तरह से प्रभावित करेगी और इसका आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव आना निश्चित है
निष्कर्ष - इन सभी परिस्थितियों को अगर ध्यान में रखा जाए तो यह निष्कर्ष निकलता है कि कम से कम अगले 5 या 6 महीने तक मार्केट में उठापटक का दौर जारी रहेगा और फिलहाल शेयर मार्केट में स्थिरता की संभावना कम ही है ऐसे में जो निवेशक लंबे समय के लिए इन्वेस्ट करते हैं उन्हें मार्केट से दूर रहना चाहिए और मार्केट में करेक्शन का इंतजार करना ही सही रणनीति होगी जब भी कोई अच्छी क्वालिटी का शेयर करेक्शन में मिले तो उसे धीरे-धीरे अपने पोर्टफोलियो में ऐड करते जाएं अभी मार्केट उम्मीद है कि 9000 से नीचे भी आ सकता है इसमें थोड़ा सा समय लगेगा
और मार्केट में अगर इन्वेस्ट करना ही है तो अच्छी क्वालिटी के शेयर देखें और उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल कर ले उसके बाद ही इन्वेस्ट करें
और मार्केट में अगर इन्वेस्ट करना ही है तो अच्छी क्वालिटी के शेयर देखें और उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल कर ले उसके बाद ही इन्वेस्ट करें
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