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गौरी लंकेश : मर्डर केस

गौरी लंकेश बेंगलुरु की एक जानी-मानी पत्रकार थी जिनकी हत्या ने पूरे भारत में एक सनसनी फैला दी है आज हर कोई पत्रकारों की इस तरह से हो रही हत्या से असहज महसूस कर रहा है
 गौरी लंकेश एक पढ़ी-लिखी और तेज तर्रार महिला थी यह दिल्ली में किसी अंग्रेजी मीडिया के लिए काम किया करती थी बाद में अपने पिताजी के कहने पर पिताजी की विरासत संभालने के लिए यह बेंगलुरु चली गई और वहां पर कन्नड़ भाषा में गौरी लंकेश पत्रिका का संचालन करने लगी यह सत्ता विरोधी विचार बहुत ही खुले तरीके से लिखती थी जिस वजह से सत्ता पक्ष के लोग अक्सर ही इसे थोड़ा असहज महसूस करते हैं इनका झुकाव वामपंथी विचारधारा की तरफ दिखा साथ ही लिए कई नक्सलवादियों को हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लाने में भी कामयाब होगी
इनका अपने भाई के साथ कुछ विवाद भी चल रहा था जिस कारण अब गौरी लंकेश की हत्या में कई मोड़ आ गए हैं और पुलिस अब तक किसी तत्व गवाह सबूत तक पहुंचने में नाकामयाब रही है
शुरुआत है उनकी हत्या होते ही कुछ लोगों ने हिंदूवादी सोच की कट्टरता को आधार बनाकर यह आरोप लगाने शुरू किए थे किसी हिंदूवादी संगठन का हाथ हो सकता है लेकिन कर्नाटक में अभी कांग्रेस की सरकार है जिस वजह से इस बात हो कोई आधार नहीं मिल पाया की राजनेताओं का या किसी इस तरह की सोच के लोगों का इस में कोई हाथ हो सकता है
इसके साथ ही यह भी बात सामने आई कि किसी नक्सलवादी ने उनकी हत्या करवाई जा सकती है लेकिन उस विषय में भी अब तक कोई पत्थर नहीं मिले हैं क्योंकि यह तो खुद ही वामपंथी विचारधारा की तरफ झुकी हुई थी
भाई के साथ संपत्ति का झगड़ा था इस तरफ भी लोगों ने अंगुली उठाई है लेकिन उनके भाई को खुद ही सीबीआई जांच की मांग करते हुए दिखाई दे रहे हैं इस प्रकार गौरी लंकेश की हत्या एक पहेली बन कर रह गई है
जिसमें लोग अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं कि किस वजह से इनकी कोई हत्या करवा सकता है साथ ही बहुत सारे पत्रकार की हत्या पर अपनी अपनी तरह से मत व्यक्त कर रहे हैं लेकिन जब तक हत्या की गुत्थी सुलझ नहीं जाती तब तक इस बात पर स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि उनकी हत्या किसी विशेष विचारधारा से प्रेरित होकर की गई या किसी व्यक्तिगत दुश्मनी की वजह से की गई या कोई और वजह रही
वजह चाहे जो भी हो लेकिन बेंगलुरु जैसे राजधानी शहर में इतनी बड़ी हस्ती पर दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या हो जाना एक बहुत बड़ी बात है उसके बाद कितने दिन बाद भी अभी तक उस हत्या का कोई सुराग न लगना यह बहुत ही संदेह पैदा करता है कि या तो यह कोई हाई प्रोफाइल मर्डर है या पुलिस के ऊपर कोई दबाव है या पुलिस कुछ काम करना नहीं चाहती
लेकिन यह सारी बातें मिथ्या ही प्रतीत होती है अब तक तो यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि नहीं हत्या किस मकसद से भी उनके पीछे कौन लोग थे जो भी हो लेकिन यह बहुत ही गलत था क्योंकि भारत जैसे देश में हर किसी को अपने विचारों को संविधान की मर्यादा में रहते हुए व्यक्त करने का अधिकार है और यहां पर पहले से ही ऐसा चलता आया है कि विचारों का टकराव होता रहता है लेकिन राष्ट्र के काम होते रहते हैं और लोग राष्ट्रभक्ति निभाते हुए भी सत्ता के साथ विरोध निभाते हैं लेकिन प्रशासन अपना काम करता है और इन चीजों से ही हमारा राष्ट्र और मजबूत होते हुए आगे बढ़ता रहता है

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