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श्री रामचंद्र जीवन परिचय तिथि वार

भगवान श्री राम के चरणों का स्मरण करते हुए मैं भगवान श्री राम के वनवास की विधि का वर्णन करता हूं
चैत्र शुक्ल नवमी के शुभ दिन भगवान श्री राम ने जन्म लिया 14 वर्ष तक सभी भाइयों ने बाल लीलाएं की 15 वर्ष की अवस्था में विश्वामित्र बुलाने आए और फिर श्री राम और लक्ष्मण की गुनी के साथ बंद हो गए और उनका कार्य किया फिर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार कर मिथला पुरी में पधारे और 15 दिन तक वहां रहे उसके बाद अगन में पंचमी को नींद लग्न वृश्चिक के सूर्य में कृपा निधान श्री रघुनाथ जी का विवाह हुआ उस समय जानकी जी की उम्र 6 वर्ष थी यह जगत जानता है प्रभु विवाह करके घर आए और 12 वर्ष तक आनंदपूर्वक अयोध्या में निवास किया
जिस समय पर न को प्रस्थान किया उस समय रघुनाथ जी 27 वर्ष के और जानकी जी 18 वर्ष की थी अयोध्या से चलने के 3 दिन पश्चात श्री राम और सीता जी ने जमा किया चौथे दिन राम और लक्ष्मण जी ने तिरंगे स्वर्ग में कुछ फल खाए पांचवे दिन कृपा निधान गंगा जी के पार उत्तर कर चले गए और उसके बाद मुनि वर भारद्वाज के आश्रम में 1 दिन रहे फिर मुनि वाल्मीकि जी से मिलकर चित्रकूट में कुटी बनाकर रहने लगे यहां पर जयंत को शिक्षा देकर लक्ष्मीपति भगवान ने कुछ समय निवास किया
फिर चित्रकूट से भी प्रस्थान किया और सरभंग जी वह सुतीक्ष्ण जी से मिले और महर्षि अगस्त्य जी से मिले इस प्रकार 12 वर्ष व्यतीत करने पंचवटी में आए उसके बाद 13 वर्ष के प्रारंभ में लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक काटी और श्रीराम जी ने खर दूषण का वध किया माघ शुक्ल अष्टमी को रावण मारीच के कपट से महारानी सीता जी को हरण करके लंका ले गया तब श्री राम बड़े व्याकुल हुए उसके बाद जटायु की क्रिया करके कबंध राक्षस को मारा उसके बाद शबरी को गति दी और आसान मास में आनंदपूर्वक सुग्रीव से मित्रता की बाली को मोड देकर श्रीराम ने 4 महीने प्रवचन गिरी पर वर्षा ऋतु बिताई फिर सीता जी को ढूंढने के लिए उनके बालक आगे बढ़े
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को श्री हनुमान जी लंका के लिए समुद्र लांग कर चलें तेरस के दिन हनुमान जी ने सीता जी को ढूंढा और उन्हें श्रीराम की मुद्रिका दी 14 को अशोक वन को उजाड़कर अक्षय कुमार को मारा लंका दहन करके सीता जी के पास आए उन से सुंदर चूड़ामणि लेकर चले फिर समुद्र लाकर अपनी सेना में आए समाचार सुनकर सबने सुख पाया सब चले और 5 दिन मार्ग में लगे अगहन शुक्ल पक्ष की छठ को सब किष्किंधा पहुंचे और सप्तमी शुक्रवार के दिन श्री राम को सीता जी के समाचार मिले अगहन सुदी अष्टमी के दिन प्रभु ने शुभ नक्षत्र में लंका को प्रस्थान किया
समुद्र तट पर पहुंचने में 7 दिन लगे और पूर्णिमा को तत्पर पहुंचे और पोस् कृष्ण तीज तब वहां 3 दिन व्यतीत किए चौथ को विभीषण शरण में आए और अष्टमी तक प्रभु ने सागर से विनती की और रोष व्यक्त किया नवमी को सागर राम की शरण में आया दशमी के दिन वानरों ने सागर पर 10 योजन पुल बांदा एकादशी हो 20 द्वादशी को 30 और तेरस को नल नील ने 40 योजन पुल बांधा इस प्रकार वानरों ने 10 योजन चौड़ा और 100 योजन लंबा पुल बांधा
14 से पोस् शुक्ल हज तक वानर सेना सागर के पार उतरी और 8 दिन में दसवीं तक लंका को घेर लिया उसके बाद पोस् सदी एकादशी को सुख सारण ने रावण को वानर सेना दिखाई द्वादशी को राम ने विचार करके सेना के 4 भाग किए और रावण के क्षेत्र पंडाल काट कर गिरा दिया फिर 3 दिन के भीतर रावण की सेना तैयार हुई उसके बाद माघ कृष्ण प्रतिपदा के दिन अंगद रावण की सभा में गए और उसका गर्व बनकर लौटे उसके बाद माघ कृष्ण द्वितीय से नवमी तक दोनों सेनाओं में हो रहे युद्ध होगा मेघनाथ ने नागपाश चलाया जिसे दशमीको गरुड़जी आकर काट गए धूम्र लोचन द्वादशी तक बड़ा युद्ध करके मारा गया
अमावस्या तक वानर सेना ने अनेक राक्षस मार दिए और माघ शुक्ल चौथ को रावण ने युद्ध किया उसके बाद पंचमी से लेकर अष्टमी तक रावण ने कुंभकरण को जगाया और नवमी से 14 तक युद्ध करके श्री राम के हाथों मारा गया पूर्णिमा के दिन रावण शोकाकुल रहने से नहीं लड़ा फागुन बदी पंचमी तक राम ने महाबली narantak  तक तक का वध किया तेरस तक कुंभ निकुंभ मारे गए फागुन की द्वितीया तक जम्मूk मारा गया उसके बाद तेरस के दिन लक्ष्मण ने मेघनाथ को मारा चौदस के दिन रावण ने युद्ध नहीं किया और वह रावण मारा गया
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को रावण लड़ने चला और चैत्र कृष्ण अष्टमी तक उसके सब सेनापति मारे गए नवमी के दिन रावण ने लक्ष्मण जी को शक्ति मारी उसी दिन हनुमान जी संजीवनी लाए और लक्ष्मण जी को जिंदा किया दशमी के दिन बड़ा भयंकर युद्ध हुआ एकादशी को मातलि श्रीराम के लिए देवरथ लाया उसके बाद द्वादशी से लेकर 18 दिन तक रावण ने भारी युद्ध किया चैत्र शुक्ल चौदस को रावण का वध हुआ पूर्णिमा के दिन विभीषण ने रावण की दुखी मन से अग्नि को समर्पित किया
वैशाख कृष्ण प्रतिपदा को इंद्र ने अमृत वर्षा करके वानर सेना को जीवित किया द्वितीया को प्रभु राम ने विभीषण को राज्यकीय तीज के दिन सीता जी ने अग्नि में प्रवेश करके अग्नि परीक्षा दी यह देखकर वानर बड़े अचंभे में आए 14 माह 10 दिन सीता जी ने लंका में दुख पाया चौथ राम ने पुष्पक विमान में बैठ कर अयोध्या को प्रस्थान किया पंचमी के दिन प्रयागराज ने स्नान किया और छटवीं को भरत से प्रेम पूर्वक मिले वैशाख कृष्ण सप्तमी को श्री राम अयोध्या में आ गए
वनवास से लौटने पर राम 41 वर्ष के और सीता 32 वर्ष की थी सप्तमी को ही श्री राम का सिंहासन पर विराजमान हो गए और राजतिलक हुआ यह बात जगत प्रसिद्ध है
भादो की नवमी को सीताजी गर्भवती हुई और चैत्र शुक्ल द्वादशी के दिन लक्ष्मण जी श्रीराम की आज्ञा शिरोधार्य करके उन्हें अत्यंत दुखी मन से वाल्मीकि के आश्रम के निकट छुड़ाए वहां बाल्मीकि ने उन्हें पुत्री के समान वाला और आषाढ़ मास की नवमी को लव कुश पैदा हुए
तपस्वनी के वेश में सीता जी वन में दुखी रही और श्रीराम ने 11000 वर्ष तक राज्य किया फिर लव कुश को राज्य देकर साकेत को प्रस्थान किया
अभिनिवेश ऋषि ने रामायण का यह सार लेकर बना सकते तिथि पत्र का वर्णन किया है जिसे सुनने से संसार का भ्रमजाल नाश हो जाता है वह संपूर्ण विकार नष्ट हो जाते



मैंने यह जानकारी एक बहुत पुरानी रामायण की किताब से निकाली है इस तरह की जानकारी अब नई रामायण की किताबों में नहीं मिलती है यह पुरानी रामायण की किताब पूरी तरह से फट चुकी है जिसके दो पेज मुझे मिले जिनसे मैंने यह जानकारी यहां पर साझा की है इस समय अगर कुछ गलतियां रह गई हो तो मैं उनके लिए क्षमा चाहता हूं साथ ही आप कमेंट बॉक्स में उन गलतियों को लिखें मैं उन्हें ठीक करने की कोशिश करूंगा धन्यवाद

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