भारत की घटती विकास दर आज विदेशी मीडिया में एक भारी चर्चा का विषय बनी हुई है भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में भारत की विकास दर जनवरी से मार्च क्वार्टर में 5.8% बताई गई है जोकि अनुमान से भारी कम है क्योंकि ऐसा अनुमान व्यक्त किया गया था कि भारत की विकास दर इस क्वार्टर में 6.3% के आसपास तो रहने ही चाहिए लेकिन सही पूछा जाए तो 6.3% भी एक तरह से कम ही प्रतीत होता है क्योंकि भारत को जिस तरह से पापुलेशन डिविडेंड का लाभ मिल रहा है मतलब यहां पर जनसंख्या जितनी मात्रा में यंग है उस हिसाब से भारत की विकास दर डबल डिजिट ग्रोथ ही होनी चाहिए तभी भारत के लिए यह लाभप्रद है लेकिन यहां तो यह बहुत कम आ रही है इसलिए यह एक चर्चा का विषय बन रहा है और हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में यह मीडिया की सुर्खियों में बना रहे इसके कई सारे फायदे और नुकसान के अनुमान अभी आगे चलकर लगाए जाएंगे और तरह-तरह की बातें मीडिया में मार्केट में बताई जाएगी
भारत की विकास दर 5.8% आने से अब भारत दुनिया की सबसे तेज गति से प्रति करने वाली अर्थव्यवस्था नहीं रह गया है क्योंकि चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस क्वार्टर में अनुमानित 6.2% है जिसके अभी ऑफिशियल आंकड़े नहीं आए हैं इस हिसाब से चीन इन्वेस्टमेंट के लिहाज से फिर से बाजी मार गया है और एक अट्रैक्टिव प्लेस बनकर फिर से उभरा है चीन के लिए 6% से ऊपर की ग्रोथ रेट भी बहुत ज्यादा है क्योंकि चीन अब बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए 6% की ग्रोथ रेट भी बहुत बड़ी ग्रोथ रेट मानी जाती है लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था चीन की अर्थव्यवस्था की अभी एक चौथाई से भी कम है जिसके लिए डबल डिजिट ग्रोथ आवश्यक है साथ ही ऐसा अनुमान लगाया गया था कि अगले 10 सालों तक यह संभव रहेगा कि भारत की ग्रोथ रेट 10% के आसपास रहनी चाहिए इस तरह से यह भारत की इकोनॉमी के लिए एक बड़ा झटका है साथ ही भारत की सरकार के लिए भी क्यों के इससे सरकार पर सुधार बनाने के लिए दबाव पड़ेगा और सरकार को सोचना पड़ेगा कि किस तरह से ग्रोथ रेट को आगे बढ़ाया जाए
भारत की ग्रोथ रेट कम होने के क्या क्या असर हो सकते हैं उनकी चर्चा में कुछ बिंदुओं में करना चाहूंगा
बात तो यह है कि अब भारत दुनिया की सबसे तेज गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था नहीं रह गया है तो अब हम दुनिया में इस चीज का प्रचार नहीं कर सकते कि हम सबसे तेज गति से दौड़ने वाली अर्थव्यवस्था वाले देश हैं जिससे भारत की एक ब्रांड वैल्यू पर फर्क आएगा क्योंकि अभी तक हमारे रिप्रेजेंटेटिव सभी जगह यही कहते थे कि भारत सबसे तेज गति से दौड़ने वाली अर्थव्यवस्था है यहां पर अगर आप इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आपको उसका रिटर्न अच्छा मिलेगा और ऐसा बोलने में भी अच्छा लगता था और दुनिया के बड़े इन्वेस्टर्स पर इसका फर्क पड़ता था जिससे भारत एक इन्वेस्टमेंट का हक बनता जा रहा था और हमें अच्छे इन्वेस्टमेंट की उम्मीद रहती थी लेकिन अब इससे भारत का आने वाला इन्वेस्टमेंट चीन की तरफ फिर से मोड़ सकता है जो कि भारत के लिए एक अच्छी खबर नहीं नहीं है
घटती विकास दर भारत के लिए एक मोर्चे पर और बड़ी बुरी खबर है अभी थोड़े दिनों पहले ही भारत के बारे में भारत के एक बहुत बड़े शीर्ष अधिकारी ने बोला था कि भारत middle-income ट्रैप में फंस सकता है यह middle-income ट्रैप का मतलब यह है कि भारत एक बहुत अच्छा वाला डेवलप्ड कंट्री नहीं बन पाएगा जहां पर हाईली पैड इनकम वाले जॉब्स की कमी होगी और लोगों की इनकम एक फिक्स पॉइंट पर जाकर बढ़नी बंद हो जाएगी जिससे देश की तरक्की भी रुक जाएगी और देश एक लेवल के बाद ग्रोथ करना बंद कर देगा इस चीज का संकेत इससे भी मिलता है कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर बहुत अच्छा नहीं कर रहा है सर्विस सेक्टर में भी हम जहां अच्छा कर रहे थे उसके हमारे कई देश कंपटीशन में के तौर पर खड़े हो गए हैं जिससे देश में अच्छी जॉब्स की लगातार कमी हो गई है और लोगों की इनकम बढ़ ही नहीं रही है जो कि एक बड़ी समस्या है
देश की इकोनॉमिक्स ग्रोथ कम होने का सबसे ज्यादा असर नौकरियों पर पड़ेगा हमारे देश में पहले से ही बेरोजगारी बहुत ज्यादा है और इकोनामिक ग्रोथ अगर धीमी पड़ती है तो देश में बेरोजगारी बढ़ेगी बेरोजगारी बढ़ने से इसका बहुत बड़ा इफेक्ट पूरे ही इनकम चक्र पर आएगा जैसे कि अगर बेरोजगारी बढ़ती है तो लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं होंगे और लोग जब खर्च नहीं करेंगे तो इकोनामी में पैसा घूमेगा नहीं दूसरी सबसे बड़ी बात हमारी जो इकोनामी है वह self-driven इकोनामी और हमारे लोगों के खर्च से चलने वाली इकोनामी है जब लोगों के पास पैसा कम होगा तो लोग खर्च करना कम कर देंगे फिर लोग सिर्फ जरूरी चीजों पर ही खर्च करेंगे जिससे इकोनॉमी की ग्रोथ रेट और स्लो हो जाएगी और अभी डाटा को देखने से ऐसा ही पता चला है कि देश में खपत का स्तर बहुत कम हो गया है लोग पैसा बचा रहे हैं खर्च नहीं कर रहे हैं दूसरी बात नौकरियां अगर घटती हैं तो लोग बेरोजगार होंगे और बेरोजगार लोग क्राइम की तरफ आकर्षित होते हैं देश में क्राइम रेट बढ़ जाएगा और देश के लिए यह एक नई मुसीबत पैदा करेगा
ग्रोथ रेट कम होने का असर सरकारों पर भी पड़ेगा लोगों का सरकारों में भरोसा कम होगा जिससे सरकारें लगातार बदलेगी और लंबे समय के लिए नीतियां बनाना सरकारों के लिए मुश्किल हो जाएगा पिछले कुछ वर्षों से जो नई पीढ़ी पर लिखकर निकली है उसकी सरकारों से उम्मीद कुछ ज्यादा है और हमारे एजुकेशन सिस्टम से नई नौकरिया निकल नहीं रही हैं लोगों के पास स्किल्स की कमी है इसकी वजह से उन्हें कोई काम मिल नहीं रहा है और बेरोजगारी बढ़ी हुई है अब बेरोजगार लोग सरकारों के प्रचार में ही अपना रोजगार ढूंढ रहे हैं कोई स्थाई रोजगार नहीं ढूंढ पा रहे हैं तो इसका असर आगे चलकर सरकारों की स्टेबिलिटी पर दिखाई देगा
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